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बदरीनाथ आरती विवाद: बदरुद्दीन के पोते ने की जांच की मांग, कहा- बर्थवाल ने नहीं की रचना, पांडुलिपि में भी जिक्र नहीं

बदरीनाथ मंदिर में होने वाली आरती को लेकर विवाद गहरा गया है. अब बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा है कि धन सिंह ने आरती नहीं लिखी है. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में सरकार से जांच की मांग की है.

बदरीनाथ मंदिर (फाइल फोटो)

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Published : Jun 17, 2019, 7:59 AM IST

Updated : Jun 17, 2019, 2:15 PM IST

देहरादून:बदरीनाथ की आरती पर उठे विवाद के बाद अब बदरुद्दीन के पोते ने सरकार से जांच की मांग उठाई है. अयाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा उनसे आरती को लेकर अबतक किसी ने भी कोई दस्तावेज नही मांगे हैं. आरती विवाद मामले में बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन सिद्दकी ने ETV Bharat से बातचीत की.

बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन सिद्दीकी.

बदरीनाथ की आरती की रचना को लेकर शुरू हुआ विवाद अब और आगे बढ़ गया है. इस दफा बदरुद्दीन के पोते ने आरती की रचना में धन सिंह का नाम जोड़ने पर आपत्ति दर्ज की है. बता दें, अबतक बदरुद्दीन को बदरीनाथ की आरती लिखे जाने के लिए जाना जाता था, लेकिन कुछ समय पहले ही रुद्रप्रयाग जनपद स्थित स्योसी निवासी धन सिंह बर्थवाल के परपोते महेंद्र सिंह ने आरती से संबंधित पुरानी पांडुलिपियां प्रस्तुत करते हुये ये दावा किया था कि आरती उनके परदारा धन सिंह बर्थवाल द्वारा लिखी गई थी. महेंद्र सिंह ने पांडुलिपियों की कॉपी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी भेंट की थी.

आरती की पांडुलिपि.

दरअसल, सालों से यह मान्यता चली आ रही है कि चमोली स्थित नंदप्रयाग नगर के एक पोस्टमास्टर फकरुद्दीन सिद्दिकी उर्फ बदरुद्दीन ने भगवान बदरीविशाल की आरती लिखी थी. बदरुद्दीन भगवान बदरीविशाल के भक्त थे. उन्हें हारमोनियम वादन का भी उनको अच्छा अनुभव था. कहा जाता है कि 1860 के दशक में भगवान बदरीनाथ की आरती की रचना बदरुद्दीन ने बदरीनाथ धाम में ही की थी. वहीं, बदरीनाथ आरती को लेकर धन सिंह बर्थवाल के परपोते महेंद्र सिंह बर्थवाल आरती से जुड़ी हुई पांडुलिपियां लेकर प्रशासन के पास लेकर गए थे. उनका दावा था कि उनके पूर्वजों के द्वारा बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती लिखी गई है. इसके साक्ष्य के तौर पर उनके पास पुरानी पांडुलिपियां भी मौजूद हैं.

आरती की पांडुलिपि.

पढ़ें-बदरीनाथ आरती: बदरुद्दीन और बर्थवाल के बीच गहराया विवाद, सरकार के दावों को विशेषज्ञों की चुनौती

इस विवाद को दूर करने के लिये पांडुलिपियों की कार्बन डेटिंग भी करवाई गई है. कार्बन डेटिंग करने वाले उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक एमपीएस बिष्ट का कहना है कि महेंद्र सिंह बर्थवाल के घर से मिली पांडुलिपियों को सहमति देने के लिए बोर्ड इसका निर्णय लेगा. यह बोर्ड बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष समेत कुछ सदस्यों को जोड़कर बनाया गया है. पांडुलिपि की कार्बन डेटिंग की जा चुकी है जिसमें यह पांडुलिपि 1881 के 50 साल आगे पीछे की हो सकती है. मई महीने में इस पांडुलिपि की कॉपी को महेंद्र सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को भेट किया गया था. मुख्यमंत्री ने पांडुलिपि को संरक्षित करने के लिए संस्कृति विभाग को आदेश दिए हैं.

सीएम को आरती की पांडुलिपि भेंट करते धन सिंह बर्थवाल के परपोते महेंद्र सिंह.

विवाद होने के बाद बदरुद्दीन के पोते अजाजुद्दीन सिद्दीकी ने राज्य सरकार से मामले में जांच की मांग की है. यही नहीं, अजाजुद्दीन सिद्दीकी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार के प्रतिनिधियों या मामले की जांच कर रहे लोगों द्वारा न तो उनसे कोई संपर्क किया गया और न ही उनसे आरती की रचना को लेकर कोई दस्तावेज मांगे गए. ऐसे में सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा कहा जा रहा कि उनके द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए यह पूरी तरह से झूठ है.

बदरुद्दीन के पोते ने कहा कि पांडुलिपि किसी के घर में मिल जाने से ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आरती की रचना उसके द्वारा की गई है क्योंकि पांडुलिपि में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि यह पांडुलिपि धन सिंह द्वारा ही लिखी गई थी.

क्यों हुआ विवाद?
बदरीनाथ की आरती को लेकर विवाद यह है कि आखिरकार यह आरती किसके द्वारा लिखी गई है ? अब तक कई लोग आरती को नंदप्रयाग के रहने वाले मुस्लिम बदरुद्दीन द्वारा लिखा हुआ मानते थे, लेकिन हाल ही में रुद्रप्रयाग के ही रहने वाले महेंद्र सिंह बर्थवाल ने अपने परदादा ठाकुर धन सिंह द्वारा इस रचना के लिखे जाने का दावा किया है. इस दावे का आधार उनके पास मौजूद पांडुलिपि है.

महेंद्र सिंह का दावा है कि पांडुलिपि उनके घर से मिली है जो कि उनके परदादा धन सिंह द्वारा लिखी गई थी. इस दावे के बाद सरकार ने भी पांडुलिपि के आधार पर आरती की रचना धन सिंह द्वारा ही किए जाने की बात मान ली और इसी के बाद विवाद बढ़ता चला जा रहा है. अब बदरुद्दीन के पोते ने भी मामले पर आगे आकर ईटीवी भारत से अपना पक्ष रखा है और सरकार के दावों को चुनौती दी है.

बदरीनाथ हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र है और न केवल देश बल्कि विदेशों में भी बदरीनाथ को मानने वाले लोगों की बड़ी भारी संख्या है. ऐसे में बदरीनाथ की आरती को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद तमाम लोगों की निगाहें इस पर टिक गई हैं, जबकि बदरुद्दीन के पोते के सामने आने के बाद इस विवाद के और भी बढ़ने की संभावना बढ़ गई है.

Last Updated : Jun 17, 2019, 2:15 PM IST

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