देहरादून: बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games 2022) में बैडमिंटन में पुरुषों के सिंगल मुकाबले में अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन ने गोल्ड मेडल हासिल कर उत्तराखंड के साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है. कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के आखिरी दिन भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया. उन्होंने बैडमिंटन के पुरुष सिंगल्स के फाइनल मैच में मलेशिया के एनजी जे योंग को हराया. वहीं, जश्न मनाने के दौरान सोशल मीडिया पर लाइव आने के दौरान लक्ष्य सेन पहाड़ी टोपी (Uttarakhand Pahadi Topi) में नजर आए.
बता दें कि बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन (Indian Badminton Player Lakshya Sen) मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद लक्ष्य सेन सोशल मीडिया पर लाइव आए. इस दौरान लक्ष्य सेन पहाड़ी टोपी में नजर आए. इस टोपी में एक तो ब्रह्मकमल लगा हुआ है, जो उत्तराखंड का राज्य पुष्प है.
इसके अलावा इसमें चार रंग की एक पट्टी बनी हुई है. जो जीव, प्रकृति, धरती, आसमान के सामंजस्य का संदेश देती है. वैसे तो इस टोपी में भूटिया रिवर्स का कपड़ा इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अगर नहीं मिलता है तो वूलन के लिए ट्वीड का कपड़ा इस्तेमाल होता है और गर्मी के लिए खादी का कपड़ा इस्तेमाल होता है.
लक्ष्य सेन का बेंगलुरु एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत. ये भी पढ़ेंःकॉमनवेल्थ गेम्स में उत्तराखंड के खिलाड़ियों का जलवा, लक्ष्य सेन से लेकर स्नेह राणा ने दिखाया कमाल
कॉमनवेल्थ गेम्स में लक्ष्य सेन ने जीता गोल्ड मेडलःकॉमनवेल्थ गेम्स में बैडमिंटन के एकल वर्ग में अल्मोड़ा निवासी लक्ष्य सेन ने भारतीय टीम से शानदार प्रदर्शन किया. फाइनल मुकाबले में भारत की ओर से लक्ष्य सेन और मलेशिया के एनजी जे योंग भिड़े. जिसमें लक्ष्य सेन ने 2-1 से मलेशिया के एनजी जे योंग को हराया और गोल्ड मेडल (Lakshya Sen Won Gold) कब्जाया.
उनकी इस जीत पर पूरे देश और उत्तराखंड में जश्न का माहौल है. लक्ष्य सेन अब तक स्पेन में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीत चुके हैं. इसके अलावा जर्मन ओपन में सिल्वर मेडल, आल इंग्लैंड टूर्नामेंट में सिल्वर, दिल्ली में हुए इंडिया ओपन में गोल्ड मेडल और थॉमस कप में टीम को गोल्ड मेडल मिला है.
जीत के जश्न में पहाड़ी टोपी में नजर लक्ष्य सेन. ये भी पढ़ें:लक्ष्य सेन ने डेब्यू कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता GOLD, दादा की विरासत को बढ़ा रहे आगे, ऐसा रहा सफर
10 वर्ष की उम्र में जीता पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब:लक्ष्य सेन ने चार साल की उम्र से खेलना शुरू कर दिया था. लक्ष्य की 10वीं तक की पढ़ाई अल्मोड़ा के बीयरशिवा स्कूल (Bearsheba School) में ही हुई. लक्ष्य सेन के दादा सीएल सेन को अल्मोड़ा में बैडमिंटन का पितामह कहा जाता है. लक्ष्य के पिता डीके सेन बैडमिंटन के नामी कोच हैं और वर्तमान में प्रकाश पादुकोण अकादमी से जुड़े हैं. लक्ष्य सेन ने 10 वर्ष की उम्र में पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता था, तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.