देहरादून: राज्य कर्मचारी घोषित करने और इंसेंटिव को दोगुना करने समेत 8 सूत्रीय मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को सचिवालय कूच किया. वहीं, सचिवालय से पहले ही पुलिस बल ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया. यह आंदोलन आशा फैसिलिटेटर एवं कार्यकर्ता संगठन के बैनर तले किया गया.
आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन. वहीं, आशा स्वास्थ संगठन की प्रदेश मंत्री ललितेश विश्वकर्मा ने कहा कि पीएम मोदी ने 11 सितंबर 2018 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आशाओं से बात की थी. उन्होंने आशाओं के इंसेंटिव को दुगना करने का ऐलान किया था. इस मामले में जब स्वास्थ्य मंत्रालय का पत्र जारी हुआ तो केवल पांच प्रकार के कार्यों के लिए मिलने वाली 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 2000 रुपये किया गया, जिस कारण आशाओं में निराशा है.
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ललितेश विश्वकर्मा ने कहा कि उत्तराखंड में 606 आशा फैसिलिटेटर हैं जो प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य समिति सेवाओं में सरकारी कार्यक्रमानुसार स्वास्थ विभाग के अधीन कार्य करती आ रही हैं. वहीं आशा फेसिलिटेटरों के अधीन करीब 12000 आशा कार्यकत्रियां हैं. इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी उनके द्वारा करवाए जाते हैं इसलिए इसके बदले में उन्हें अतिरिक्त भुगतान किया जाना चाहिए.
आशा फेसिलेटटरों की मुख्य मांगें-
- पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि आशा फैसिलिटेटर को दिए जाने वाले भ्रमण भत्ते को 50 रुपये प्रति विजिट बढ़ाया गया है, यह भत्ता बढ़ोतरी उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही आशा फैसिलिटेटर पर भी लागू हो इसलिए इसके निर्देश भी संबंधित विभागों को दिए जाएं.
- आशा फेसिलिटेटरों से 30 दिन कार्य के बदले मात्र 20 दिन के भत्ते का भुगतान दिया जाता है, जबकि प्रदेश के श्रम कानून के अनुसार 26 दिन के कार्य के बाद 30 दिन का वेतन दिया जाता है, तो हमारे साथ ऐसा उत्पीड़न और शोषण क्यों ?
- आशा फेसिलिटेटरों का मानदेय 24000 रुपये किया जाये.
- अधिकांश आशा फैसिलिटेटर का जून ,जुलाई और अगस्त 2017 का भुगतान अभी तक स्वास्थ विभाग ने नहीं किया है ऐसा क्यों?