देहरादूनः क्या आने वाले समय में अल्मोड़ा के गेवाड़ घाटी से कोई पुराना शहर दुनिया के सामने आ सकता है? क्या रामगंगा नदी के तट के नीचे कोई ऐतिहासिक और पुराना शहर मौजूद है? क्या कोई ऐसी सभ्यता, जो आज से करीब 1000 साल पहले थी, उसका सच दोबारा सामने आ पाएगा? ये कुछ ऐसे सवाल हैं? जिनके जवाब अब एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण खोजने की कोशिश में जुट गया है. एएसआई को रामगंगा नदी तट के नीचे कोई शहर दबे होने की उम्मीद है. लिहाजा, अब सर्वे कर खुदाई करने की बात कही जा रही है.
दरअसल, सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा जिले के गेवाड़ घाटी में स्थित रामगंगा नदी के किनारे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जनवरी महीने में अपनी एक टीम भेज रहा है. यह टीम नदी किनारे स्थित पहाड़ों और मैदान की जांच करेगी. यह देखेगी कि आखिरकार अल्मोड़ा जिले में जो कई सौ साल पुराने मंदिर हैं, वो यहां पर कैसे आए और किसने इसकी स्थापना की.
एएसआई को उम्मीद है कि रामगंगा नदी किनारे नौवीं शताब्दी से लेकर 15 शताब्दी तक कोई सभ्यता रही हो. ऐसे में इसकी जानकारी जुटाई जाए. देहरादून से एक टीम जनवरी महीने में अल्मोड़ा जाएगी. फिलहाल, टीम बिना किसी खुदाई के इस बात का परीक्षण करेगी कि अल्मोड़ा में इतने पुराने मंदिरों का किससे कनेक्शन हो सकता है?
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के देहरादून सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद मनोज सक्सेना कहते हैं कि अगर हमें कोई ठोस सबूत मिलता है तो मामले में आगे बात करेंगे और तब खुदाई की परमिशन के लिए बात करेंगे. उनका कहना है कि जानकारों और उस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर लगता है कि नदी किनारे कभी कोई सभ्यता रही होगी. इसीलिए कई पहलुओं को देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं.
अगर एएसआई को कुछ भी सबूत मिले तो ये उत्तराखंड के लिए बड़ी बात होगी. जिस गेवाड़ घाटी की बात की जा रही है, वो बेहद खूबसूरत जगह है. अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया विकासखंड, द्वाराहाट में तड़गताल, नैगड़, जौरासी, नैथना, खिड़ा, मासी तक के क्षेत्र को गेवाड़ घाटी कहा जाता है. यहां एक बड़ा मैदान और रामगंगा नदी है. गेवाड़ घाटी को लोग कई नामों से जानते हैं. गेवाड़ घाटी को नवरंगी गेवाड़ या रंगीलो गेवाड़ घाटी और कुमाऊं का कश्मीर के नाम से भी लोग पहचानते हैं.