गैरसैंणः सरकार ग्रामीणों के लिए कई लाभकारी योजनाएं चला रही है. जिसके जरिए गरीब तबके के जीवन स्तर को सुधारने के लिए आर्थिक सहयोग भी दिया जा रहा है. लेकिन कुछ अधिकारियों की करतूतों की वजह से विभाग और सरकार की छवि धूमिल हो रही है. ऐसा ही एक मामला गैरसैंण से सामने आया है. यहां मालकोट ग्राम पंचायत के गडौत गांव में साल 2017-18 में हरिराम को सरकार की ओर से पशुबाड़ा आवंटित किया गया था. जिसका निर्माण लाभार्थी हरिराम ने 2018-19 में पूरा कर लिया. लेकिन अभी तक हरि राम को विभाग की ओर से स्वीकृत सामग्री की धनराशि नहीं मिल पाई है. ऐसे में हरिराम को ब्लॉक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.
Gairsain MGNREGA Work: धनराशि के लिए भटक रहा हरिराम, विभाग ने फर्जी बिल पर कर दिया भुगतान
गैरसैंण में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना में झोलझाल का मामला सामने आया है. यहां हरिराम नाम के शख्स ने पशुबाड़ा का निर्माण किया था. यह पशुबाड़ा सरकार की ओर से आवंटित किया गया था, लेकिन अभी तक सामग्री के लिए भुगतान नहीं हुआ है. आरोप है कि विभाग ने किसी को फर्जी बिल भुगतान कर दिया है. वहीं, मामले में ग्राम विकास अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है.
काम किसी ने कराया, भुगतान किसी और को कर दिया: मामले में संबंधित विभाग का कहना है कि मजदूरी मद का भुगतान पहले ही कर दिया गया है. जिसे लाभार्थी ने भी स्वीकार किया है. जबकि, सामग्री मद की धनराशि सामग्री विक्रेता तक नहीं पहुंची. चौंकाने वाली बात ये है कि 18 बोरी सीमेंट का 7380 और 8000 सेड सीट का कुल 15,380 का भुगतान बिष्ट हार्डवेयर मेहलचौरी के स्थान पर नेगी जनरल स्टोर टेंटुड़ा को 4 मई 2022 को कर दिया गया. जबकि, लाभार्थी की ओर से नेगी जनरल स्टोर से कोई खरीदारी नहीं की गई थी. इसके बाद मामले का संज्ञान मुख्य विकास अधिकारी के पास आया. इस पर खंड विकास अधिकारी ने मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण किया और भुगतान संबंधी जानकारी हासिल की.
ये भी पढ़ेंःFisheries Department Uttarakhand: मत्स्य पालन से ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार, आर्थिकी होगी मजबूत
क्या बोले अधिकारी?खंड विकास अधिकारी विलेश्वर पंत का कहना है कि भुगतान में गड़बड़ी सामने आई है. जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित ग्राम विकास अधिकारी को नोटिस भेज कर स्पष्टीकरण मांगा गया है. संबंधित ग्राम विकास अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि अविलंब हरिराम की ओर से जिस दुकान से मटेरियल लिया गया है, उस दुकानदार को भुगतान किया जाए. बरहाल, अब देखना होगा कि लापरवाह अधिकारियों पर विभाग किस प्रकार कार्रवाई करता है और हरिराम जैसे गरीब व असहाय लोगों को न्याय मिल पाता है या नहीं.