हेलंग मारवाड़ी बाईपास निर्माण का विरोध चमोली: जोशीमठ के व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने तहसील परिसर में सीमा सड़क संगठन के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी को निर्माण कार्य बंद करने से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा है. बाईपास निर्माण के विरोध में शंकराचार्य वासुदेवानंद भी खुलकर आ गये हैं. उन्होंने कहा कि पौराणिक मान्यताओं से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है. शंकराचार्य ने कहा कि बदरीनाथ की यात्रा पुराने समय से ही जोशीमठ से होते हुए जाती थी. पहले भी उन्होंने हेलंग मारवाड़ी बाईपास का विरोध केंद्र सरकार के सामने प्रकट किया था. जिसके बाद निर्माण कार्य रुक गया था.
हेलंग मारवाड़ी बाईपास निर्माण का विरोध: अब दोबारा निर्माण कार्य शुरू होता है तो वह फिर विरोध करेंगे. वहीं जोशीमठ व्यापार सभा ने जोशीमठ बाजार से जोशीमठ तहसील परिसर तक जुलूस निकाला. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में चेतावनी दी कि अगर 2 दिन के भीतर हेलंग मारवाड़ी बाईपास का निर्माण कार्य नहीं रोका गया, तो संपूर्ण जोशीमठ बाजार बंद करके चक्का जाम किया जाएगा.
बाईपास को लेकर क्यों है विरोध: बताते चलें कि जोशीमठ से 13 किलोमीटर पहले हेलंग से मारवाड़ी तक बाईपास सड़क का निर्माण कार्य प्रस्तावित है. इस पर इन दिनों निर्माण कार्य भी चल रहा है. इस बाईपास का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि हेलंग मारवाड़ी बाईपास निर्माण हो जाने के बाद बदरीनाथ धाम की यात्रा और हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी की यात्रा पर आने जाने वाले तीर्थयात्री जोशीमठ से नहीं गुजरेंगे. इससे उनके व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ साथ पौराणिक, आध्यात्मिक नगरी के धार्मिक महत्व पर भी संकट खड़ा हो जाएगा.
हेलंग मारवाड़ी बाईपास से फायदा:बता दें कि वर्तमान समय में हेलंग से जोशीमठ होते हुए मारवाड़ी की दूरी क़रीब 21 किलोमीटर है. हेलंग से मारवाड़ी तक जिस बाईपास सड़क का निर्माण किया जा रहा है, उसकी दूरी महज़ 6 किलोमीटर है. अगर बाईपास सड़क का निर्माण होता है तो बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी जाने वाले तीर्थयात्रियों सहित भारत चीन सीमा स्थित माणा पास तक जाने वाले सेना के वाहनों को क़रीब 15 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ेगी.
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इससे समय की बचत भी होगी. ये सड़क बनने के बाद यात्री हेलंग से मारवाड़ी निकल कर सीधे बदरीनाथ धाम जाएंगे. इससे तीर्थ यात्रियों को 40 किलोमीटर तक यात्रा मार्ग में सफर कम करना पड़ेगा. वहीं जाम की समस्या से भी मुक्ति मिलेगी.