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Adi Badri Kapat Open: भगवान आदिबदरी के कपाट खुले, पौष माह में ही बंद रहता है मंदिर - आदिबदरी मंदिर के कपाट

उत्तराखंड में कई पौराणिक और चमत्कारिक मंदिर मौजूद हैं. जिनकी महिमा दूर-दूर तक है. कुछ मंदिर तो साल भर खुले रहे हैं, लेकिन कुछ मंदिरों के कपाट किसी विशेष समयावधि पर बंद कर दिए जाते हैं. ऐसा ही एक मंदिर आदिबदरी है. जिसके केवल एक महीने के लिए यानी पौष माह में कपाट बंद कर दिए जाते हैं. जिसके कपाट मकर संक्रांति के दिन खोले (Adi Badri Kapat Open) जाते हैं.

Adi Badri Kapat Open
आदिबदरी के कपाट

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Published : Jan 15, 2023, 11:54 AM IST

चमोलीःआज पूरे देशभर में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति पर आज भगवान आदिबदरी मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं. पौराणिक परंपराओं के अनुसार, यह मंदिर सालभर में सिर्फ पौष माह में बंद रहता है. एक माह बंद रहने के बाद आज मकर संक्रांति को आदिबदरी धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं.

बता दें कि मकर संक्रांति के मौके पर सुबह 5 बजे ब्रह्म मुहूर्त में भगवान आदिबदरी धाम के कपाट खोल दिए गए. इस दौरान मंदिर को गेंदे के फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया. आदिबदरी मंदिर रानीखेत हल्द्वानी मार्ग पर कर्णप्रयाग से 17 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. प्रसिद्ध चांदपुर गढ़ी से इसकी दूरी 3 किलोमीटर है. आदिबदरी धाम में कपाट खुलने के बाद महाभिषेक समारोह और शीतकालीन पर्यटन एवं सांस्कृतिक विकास मेले भी शुरू हो गए हैं.

कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल ने मेले का उदघाटन किया. साथ ही आज से मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का भी शुभारंभ होगा. पंच बद्रियों में से एक भगवान आदिबदरी धाम भी हैं, जहां पौराणिक मंदिर समूह हैं. इस समूह में 16 मंदिर थे, जिनमें अभी 14 बचे हैं. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. हर साल काफी संख्या में श्रद्धालु आदिबदरी धाम पहुंचते हैं.

आदिबदरी मंदिर के बारे में जानिएःकिंवदंती है कि जब पांडव स्वर्गारोहिणी के लिए आए थे, तब उन्होंने इन मंदिरों का निर्माण किया था. इसके अलावा एक और मान्यता है कि इनका निर्माण 8वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था. जबकि, भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षणानुसार, इन मंदिरों का निर्माण 8वीं से 11वीं सदी के बीच कत्यूरी राजाओं ने किया था. फिलहाल, इन मंदिरों की देखभाल भारतीय पुरातत्व विभाग करता है. यहां पर भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची काली शालीग्राम की प्रतिमा है, जो अपने चतुर्भुज रूप में खड़े हैं.
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