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रैणी आपदा के बाद अलकनंदा नदी में मछलियां हुईं खत्म, मछुआरों की रोजी-रोटी पर संकट - ट्राउट मछली पालन

ऋषिगंगा नदी में आए सैलाब का असर अलकनंदा नदी से मछली बेचकर आजीविका चलाने वाले लोगों पर भी पड़ा है. दरअसल, सैलाब के साथ आए गाद से अलकनंदा नदी की मछलियां मर गई थी. ऐसे में नदी की हिमालयन ट्राउट समेत अन्य मछलियां ही खत्म हो गई.

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अलकनंदा नदी में मछलियां हुईं खत्म

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Published : Nov 26, 2021, 8:56 PM IST

Updated : Nov 27, 2021, 2:32 PM IST

चमोलीःबीती 7 फरवरी को रैणी आपदा में आए सैलाब का असर अलकनंदा नदी पर बुरी तरह से पड़ा है. जल सैलाब के साथ आए गाद से अलकनंदा नदी की मछलियां मर गई थी. जोशीमठ से लेकर कर्णप्रयाग तक अलकनंदा नदी इन दिनों मछली विहीन है. जिससे मछली पकड़कर आजीविका चलाने वाले परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. कई परिवार अलकनंदा नदी से मछली पकड़कर (alaknanda river fishing) बाजारों में बेचते थे. जिससे उनकी गुजर बसर होती थी, लेकिन अब उनके रोजगार का जरिया भी सैलाब के साथ तबाह हो गई है.

अलकनंदा नदी में आए सैलाब के असर से मछुआरों के साथ ढाबा संचालक भी अछूते नहीं हैं. नंदप्रयाग बाजार में मछली करी (Nandprayag Fish curry) बनाकर बेचने वाले ढाबा संचालकों की भी ग्राहक कम होने से चिंता बढ़ गई है. नंदप्रयाग के ढाबा संचालक विक्रम राणा और स्थानीय व्यापारी गुड्डू राजा का कहना है कि ऋषि गंगा में आई आपदा के बाद से अलकनंदा नदी में मछलियां पूरी तरह समाप्त हो गई है. ऐसे में लोकल मछलियां मिल ही नहीं रही है.

रैणी आपदा के बाद अलकनंदा नदी में मछलियां हुईं खत्म.

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मछलियों की करी के लिए फेमस है नंदप्रयागःउनका कहना है कि नंदप्रयाग बाजार (Nandprayag Bazar) पहाड़ी मछलियों (Himalayan Trout fish) की करी के लिए महशूर है, लेकिन पहाड़ी मछलियां न मिलने से अब वो रोहू और मैदानी क्षेत्रों से आने वाली मछलियों की करी बना रहे हैं, लेकिन पहाड़ी मछलियों की करी न मिलने से ग्राहकों में कमी आई है.

वहीं, चमोली में तैनात सहायक मत्स्य जगतम्बा प्रसाद का कहना है कि ऋषि गंगा में आई आपदा (rishi ganga disaster) के दौरान पानी से साथ आया मलबा मछलियों के गलफड़ों में चले जाने से अलकनंदा नदी में मौजूद मछलियां मर (alaknanda river fishes die) गई थी. जिससे मछलियों की ताताद में भारी कमी आई है.

अलकनंदा नदी में हिमालयन ट्राउट को लौटने में लगेंगे तीन सालःउन्होंने बताया कि विभाग की ओर से बिरही गंगा से छोटी-छोटी मछलियों के बीज को छोड़ा गया था, ताकि एक बार अलकनंदा नदी में फिर से मछलियां लौट सके. गांव-गांव में भी ट्राउट मछली पालन (Trout fish) पर भी जोर दिया जा रहा है. अलकनंदा नदी में हिमालयन ट्राउट की दोबारा पैदावार के लिए 3 साल का वक्त लगेगा.

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चमोली में हुआ था बड़ा हादसा:उत्तराखंड के चमोली जिले (chamoli disaster) में सात फरवरी 2021 को जोशीमठ में ग्लेशियर फटने से ऋषि गंगा और धौली गंगा नदी में सैलाब आ गया था. इस सैलाब में एनटीपीसी की निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना में काम कर रहे कई मजदूर लापता हो गए थे. साथ ही कई लोगों की मौत हो गई थी. कई लोग ऐसे भी जो लापता हैं. वहीं, सरकार लापता लोगों को मृत घोषिक कर चुकी है. साथ ही मुआवजा भी दिया जा चुका है.

Last Updated : Nov 27, 2021, 2:32 PM IST

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