चमोलीःबीती 7 फरवरी को रैणी आपदा में आए सैलाब का असर अलकनंदा नदी पर बुरी तरह से पड़ा है. जल सैलाब के साथ आए गाद से अलकनंदा नदी की मछलियां मर गई थी. जोशीमठ से लेकर कर्णप्रयाग तक अलकनंदा नदी इन दिनों मछली विहीन है. जिससे मछली पकड़कर आजीविका चलाने वाले परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. कई परिवार अलकनंदा नदी से मछली पकड़कर (alaknanda river fishing) बाजारों में बेचते थे. जिससे उनकी गुजर बसर होती थी, लेकिन अब उनके रोजगार का जरिया भी सैलाब के साथ तबाह हो गई है.
अलकनंदा नदी में आए सैलाब के असर से मछुआरों के साथ ढाबा संचालक भी अछूते नहीं हैं. नंदप्रयाग बाजार में मछली करी (Nandprayag Fish curry) बनाकर बेचने वाले ढाबा संचालकों की भी ग्राहक कम होने से चिंता बढ़ गई है. नंदप्रयाग के ढाबा संचालक विक्रम राणा और स्थानीय व्यापारी गुड्डू राजा का कहना है कि ऋषि गंगा में आई आपदा के बाद से अलकनंदा नदी में मछलियां पूरी तरह समाप्त हो गई है. ऐसे में लोकल मछलियां मिल ही नहीं रही है.
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मछलियों की करी के लिए फेमस है नंदप्रयागःउनका कहना है कि नंदप्रयाग बाजार (Nandprayag Bazar) पहाड़ी मछलियों (Himalayan Trout fish) की करी के लिए महशूर है, लेकिन पहाड़ी मछलियां न मिलने से अब वो रोहू और मैदानी क्षेत्रों से आने वाली मछलियों की करी बना रहे हैं, लेकिन पहाड़ी मछलियों की करी न मिलने से ग्राहकों में कमी आई है.