गैरसैंण: जिला योजना मद से चमोली जिले में उद्यान विभाग की ओर से संचालित फूलों की खेती काश्तकारों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. योजना के संचालन के बाद विभागीय अधिकारियों के साथ ही काश्तकारों में खासा उत्साह बना हुआ है. उद्यान विभाग ने वर्तमान में जिले के 16 प्रगतिशील काश्तकारों के साथ मिलकर शादी, पार्टी और समारोहों में सजावट के लिए उपयोग आने वाले लिलियम (लिली) के फूलों की व्यावसायिक खेती शुरू की है. जिसके परिणाम आने के बाद काश्तकार फूलों के उत्पादन को लाभ का सौदा बता रहे हैं.
बाजार में लिलियम फूल की मांग ज्यादा:लिलियम के फूल की एक पंखुड़ी की बाजार में कीमत 50 से 100 रुपये तक है. ऐसे में फूल के बेहतर बाजार को देखते हुए उद्यान विभाग चमोली ने जिला योजना मद से 80 फीसदी सब्सिडी पर लिलियम के 25 हजार ब्लब 16 प्रगतिशील काश्तकारों के 26 पॉलीहाउस में लगवाए हैं. जिनसे काश्तकारों ने 23 हजार 500 फूलों की स्टिक बेचकर अच्छी आय प्राप्त की है.
70 दिनों में तैयार हो जाता है लिलियम फूल :लिलियम के उत्पादन के लिए जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड की आबोहवा सही है. जिसे लेकर काश्तकारों की आय को मजबूत करने के लिए 16 काश्तकारों के साथ योजना संचालित की जा रही है. भारत में इसके फूल ऋतु में उगाए जाते हैं. उद्यान विशेषज्ञों के अनुसार पॉलीहाउस में यह फूल 70 दिनों में उपयोग के लिए तैयार हो जाता है.
क्या है लिलियमका फूल:लिली के नाम से पुकारे जाने वाले फूल का वैज्ञानिक नाम लिलियम है. यह लिलीयस कुल का पौधा है. यह 6 पंखुड़ी वाला सफेद, नारंगी, पीला, लाल और गुलाबी रंगों के फूल होते हैं. जापान में सफेद लिली को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, जबकि नारंगी फूल को वृद्धि और उत्साह का प्रतीक माना जाता है. लिली का पौधा अर्द्ध कठोर होता है. इसके फूल कीप आकार के होते हैं. इसका उपयोग सजावट के साथ ही सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में भी किया जाता है.