देहरादूनःलोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व लोकसभा चुनाव 2019 के लिये सभी पार्टियां दमखम से जुट गईं हैं और तमाम पार्टियों के प्रत्याशियों ने उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर अपना नामांकन भर दिया है. हालांकि आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की मुख्य पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस दोनों के प्रदेश अध्यक्ष प्रत्याशी के रूप में चुनावी अखाड़े में कूद गए हैं. ऐसे में दोनों ही अध्यक्षों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव लड़ने से दोनों पार्टियों के संगठन पर कोई असर पड़ता है या नहीं, देखिए इस रिपोर्ट में..
संगठन अध्यक्ष का काम होता है चुनाव लड़ना
अपने संगठन को मजबूत बनाने और प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने को लेकर पार्टियां संगठन अध्यक्ष बनाती हैं. चुनाव के दौरान संगठन अध्यक्ष प्रत्याशियों के लिए तमाम रणनीति बनाते हैं, ताकि अपने प्रत्याशियों को भारी बहुमत से जीत दिला सकें, लेकिन जिस तरह से संगठन अध्यक्षों का खुद चुनाव में कूद जाना कहीं ना कहीं संगठन को कमजोर तो जरूर करता है.
संगठन अध्यक्षों की प्रतिष्ठा दांव पर
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, दोनों ही चुनावी मैदान में प्रत्याशी के रूप में हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर लग गयी है. दोनों प्रदेश अध्यक्ष चुनाव जीत पाएंगे.
दोनो दलों के बीच सीधी टक्कर
- - टिहरी लोकसभा सीट पर भाजपा से सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह आमने-सामने.
- - नैनीताल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के पूर्व सीएम हरीश रावत और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट दोनों के बीच होगी चुनावी जंग.
- - अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर केंद्रीय कपड़ा राज्यमंत्री अजय टम्टा और राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा के बीच होगी टक्कर.
- - हरिद्वार लोकसभा सीट पर पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक और कांग्रेस प्रत्याशी अमरीश कुमार के बीच होगा मुकाबला.
- - पौड़ी लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत और कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूरी के बीच होगा दिलचस्प मुकाबला.