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अल्मोड़ा लिट्रेचर फेस्टिवल में पहुंचे पंडित उदय भावलकर, गायकी के कायल हुए लोग - सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा

अल्मोड़ा के मल्ला महल में चल रहे ग्रीन हिल्स की ओर से अल्मोड़ा लिट्रेचर फेस्टिवल में ध्रुपद गायक पंडित उदय भावलकर ने शिरकत की है. इसी बीच उन्होंने अपनी प्रस्तुति देकर लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया.

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Published : Jul 1, 2023, 6:53 PM IST

Updated : Jul 1, 2023, 7:00 PM IST

अल्मोड़ा:राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के ध्रुपद शैली में गायन के लिए पहचान बनाने वाले ध्रुपद गायक पंडित उदय भावलकर ने सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में ध्रुपद गायकी से लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया है. इस दौरान उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में भारतीय शास्त्रीय संगीत को जानने वाले संगीत प्रेमी पहुंचे. भारतीय शास्त्रीय संगीत में गायन की अनेक विधाएं हैं. जिनमें से ध्रुपद गायकी सबसे पुरानी विधाओं में एक है. यह गायकी उस समय शुरू हुई, जब तबला और हारमोनियम का अविष्कार भी नहीं हुआ था. उस दौर में केवल तानपुरा और पखावज का इस्तेमाल गायकी के लिए होता था.

पंडित उदय भावलकर ने कहा कि दुनिया में संगीत की अनेक विधाएं हैं. वह सभी अपने-अपने स्थान पर हैं. उन सभी का अपना-अपना महत्व है. यह जरुर है कि ध्रुपद गायकी को सुनने के लिए बहुत कम लोग आते हैं. ध्रुपद गायकी एक साधना है, जो हम करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि युवा पीड़ी भी इसको सीखते आ रही है. इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिए कि हमारी इस विधा का क्या होगा, क्योकि यह हमेशा चलती रहेगी.

ध्रुपद गायक पंडित उदय भावलकर ने बताया कि स्वर और राग का संबंध सत्य से है और सत्य कभी समाप्त नहीं होता है. हर एक कलाकर की एक गायन पद्धति हाेती है. उन्होंने कहा कि मेरी भी गायन पद्धति ध्रुपद है. इसमें दूसरी शैली को मिलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा में बैठकी होली की परंपरागत कुछ पदों को वह कंपोज करेंगे और उसे अपने ध्रुपद गायन शैली में प्रस्तुत करेंगे.
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भारतीय शास्त्रीय संगीत की ध्रुपद गायन की शैली के महारथी पंडित उदय भवानकर का जन्म 1966 में मध्यप्रदेश में हुआ था. इन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा अपनी बड़ी बहन और माधव संगीत महाविद्यालय उज्जैन से प्राप्त की. 1961 में उस्ताद अलाउद्दीन खान संगीत अकादमी की छात्रवृत्ति से धुपद केंद्र भोपाल और बाद में मुंबई में रहकर उस्ताद जिया फरीदुद्दीन डागर और रुद्र वीणा वादक उस्ताद जिया मोहिउद्दीन डागर से प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके बाद 1985 में भोपाल में पहला कार्यक्रम प्रस्तुत किया. इन्होंने ध्रुपद गायकी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी प्रस्तुत किया है. आकाशवाणी और दूरदर्शन के अनेक कला फिल्मों में गायन भी कर चुके हैं. 2001 में मध्यप्रदेश शासन का राष्ट्रीय कुमार गंधर्व सम्मान, राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, नक्षत्र सम्मान, 2023 में हनुमंत पुरस्कर प्राप्त कर चुके हैं.
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Last Updated : Jul 1, 2023, 7:00 PM IST

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