उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

आजाद हिंद फौज के सेनानी हुकुम सिंह बोरा की पुण्यतिथि, लोगों ने दी श्रद्धांजलि

अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय हुकुम सिंह बोरा की 31वीं पुण्यतिथि पर क्षेत्रवासियों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

By

Published : Dec 28, 2020, 3:35 PM IST

Updated : Jan 16, 2021, 5:53 PM IST

etv bharat
सेनानी हुकुम सिंह बोरा को पुण्यतिथि पर किया याद

सोमेश्वर:आजाद हिन्द फौज के जांबाज सिपाही एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुकुम सिंह बोरा की 31वीं पुण्यतिथि के मौके पर क्षेत्रवासियों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. स्वर्गीय हुकुम सिंह बोरा की स्मृति में निर्मित राष्ट्रीय स्मारक में जन प्रतिनिधियों ने ध्वजारोहण कर उनकी मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की. इस मौके पर मुख्य अतिथि राज्यमंत्री के प्रतिनिधि भुवन जोशी ने हुकुम सिंह बोरा के देश की आजादी की लड़ाई में योगदान को याद करते हुए बौरारौ घाटी के अन्य 58 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी स्मरण किया.

आजाद हिंद फौज के सेनानी हुकुम सिंह बोरा की पुण्यतिथि.

वक्ताओं ने देश के आजादी के नायकों को याद करते हुए हुकुम सिंह बोरा के संघर्षों और योगदान को भावी पीढ़ी के लिए अनुकरणीय बताया. उन्होंने सभ्य समाज और क्षेत्र के विकास में सबकी सकारात्मक भूमिका को शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया. पूर्व प्रधान भूपाल बोरा ने संचालन करते हुए क्षेत्र के चहुंमुखी विकास के लिए सबसे दलगत राजनीति से हटकर सम्मिलित प्रयास की अपील की.

शहीद हुकुम सिंह बोरा का परिचय

आजाद हिन्द फौज के जांबाज सिपाही एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुकम सिंह बोरा पुत्र स्व. प्रेम सिंह बोरा का जन्म बैशाख सन् 1917 में ग्राम फल्या (मल्लाखोली) जनपद अल्मोड़ा में हुआ. उनकी शिक्षा दीक्षा स्थानीय स्कूल सोमेश्वर में हुई थी, हुकुम सिंह बोरा बचपन से ही ओजस्वी स्वभाव के थे और 6 जनवरी 1938 में 19, हैदराबाद डिविजन में भर्ती हो गये. अपने सैनिक कार्यकाल में 7 जनवरी 1942 तक द्वितीय विश्व युद्ध लड़ते रहे.

सन् 1942 में ब्रिटिश सेना को छोड़कर नेताजी द्वारा गठित 'आजाद हिन्द फौज' में शामिल हो गए. उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने नारे 'तुम मुझे खून दो- मैं तुम्हें आजादी दूंगा' से प्रेरित होकर आजाद हिन्द फौज में सैनिक निर्देशक के पद पर कार्य सम्भाला. हालांकि अंत में वे गिरफ्तार कर लिए गए.

ये भी पढ़ें :अल्मोड़ा पहुंचे एसबीआई दिल्ली मंडल के जीएम, बोले- पहाड़ी क्षेत्रों में बैंक देगा हाईटेक सुविधा

देश की आजादी के लिए भूखे प्यासे कई यातनाएं झेलीं और दो साल का कठोर कारावास के बाद कलकत्ता के कैम जेल से सन् 1946 में बिना कपड़ों के रिहा किए गए. वर्तमान में उनके बेटे पूर्व सैनिक किशन सिंह बोरा का परिवार मल्लाखोली में ही निवास करते है. 28 दिसंबर 1989 को यात्रा के दौरान रानीखेत के समीप चौकुनी में बस अग्निकांड दुर्घटना में जिवित ही जलकर ये महान सेनानी सदा के लिए शहीद हो गये. बीते सालों की तरह इस साल भी 28 दिसंबर को स्व. बोरा की 31वीं पुण्य तिथि पर उनकी स्मृति में निर्मित स्मारक में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया.

Last Updated : Jan 16, 2021, 5:53 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details