अल्मोड़ा: सेमिनार की संयोजक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. जया उप्रेती ने थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के बारे में बताते हुए सेमिनार के उद्देश्यों की जानकारी दी. परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि बिना गणित के भौतिकी का अस्तित्व नहीं है. उन्होंने कहा कि सेमिनार, ज्योमेट्री के विविध पक्षों पर प्रकाश डालते हुए नवीन आयामों को प्रस्तुत करने में सार्थक होगा.
टेंशर सोसाइटी के डॉ. जफर हसन ने कहा कि ज्यामितीय विषय भारत की प्राचीन संस्कृति से जुड़ा हुआ है. कॉन्फ्रेंस में इसको लेकर विस्तार से मंथन किया जाएगा. यूनिवर्सिटी ऑफ एनआइएस सर्बिया के गणितज्ञ लाजुबिका विलामीरोबिक ने कहा कि देश विदेश के गणितज्ञ ज्यामितीय के विविध पक्षों पर चर्चा कर विश्व को नवीन ज्ञान देंगे.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि प्रत्येक विषय को संपुष्ट करने में गणित का महत्वपूर्ण योगदान है. उन्होंने कहा मानव सभ्यता के साथ एक विद्या गणित थी. पूरा ब्रह्मांड का गणित, ज्यामिति में छुपा है. गणित की कई शाखाएं हैं. गणित और ज्यामिति को अन्य विषयों से जोड़ते हुए मंथन किए जाने की आवश्यकता है. शोधार्थियों ने अपने शोधपत्रों का वाचन किया.
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इससे पूर्व परिसर के संगीत विभाग के छात्रों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किए. सेमिनार से संबंधित सोविनियर एवं डॉ सबीहा नाज की संपादित प्रदर्शनकारी कला: विविध आयाम का लोकार्पण किया गया. संचालन डॉ. भाष्कर चौधरी ने किया. सेमिनार में डीएसडब्ल्यू प्रो. इला साह, प्रो. भीमा मनराल, यूनिवर्सिटी ऑफ मज़न्दरण, बाबोलसर, ईरान के डॉ. जोहरेह नेकोउई, प्रो. हसन शाहिद, प्रो. मुकुटमणि त्रिपाठी, डॉ. मुसव्विर अली, प्रो अनिरुद्ध प्रधान, प्रो. एसके श्रीवास्तव, प्रो राकेश कुमार, प्रो अनिल यादव, डॉ. ममता असवाल, डॉ. धनी आर्या, प्रो. विद्याधर सिंह नेगी, डॉ पारुल सक्सेना, डॉ ममता असवाल, डॉ नंदन सिंह बिष्ट, डॉ दीपा कांडपाल, डॉ सबीहा नाज, डॉ. अर्पिता जोशी, डॉ. मनोज सिंह बिष्ट, इंजीनियर रवींद्रनाथ पाठक, डॉ. काली चरण, प्राची जोशी, अनूप बिष्ट, प्रो एमएम जिन्नाह, प्रो अनिरुद्ध, प्रियंका अलमिया, वैशाली साह आदि मौजूद रहे.