अल्मोड़ा: हौसले बुलंद हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं. यह साबित किया है अल्मोड़ा के दूरस्थ गांव नैनोली की अंकिता आर्या ने. पत्थर तोड़कर गुजर बसर करने वाले की बेटी के आगे की पढ़ाई के लिए जब गरीबी आड़े आयी तो वह अपनी फरियाद लेकर डीएम के दरवाजे तक पहुंच गई. अंकिता की पढ़ाई के प्रति लगन को देखते हुए जिलाधिकारी ने खुद के खर्चे से कॉलेज में न केवल उसका एडमिशन करवाया, बल्कि हॉस्टल में रहने की व्यवस्था कर आगे की पूरी पढ़ाई का खर्चा खुद वहन करने का भरोसा दिया.
अंकिता आर्य के घर की स्थिति बहुत खराब है. घर चलाने के लिए पिता पत्थर तोड़ते है. इस गरीबों को अंकिता ने पढ़ाई के आड़े नहीं आना दिया और मन लगाकर पढ़ाई की. इसी मेहनत के बल पर अंकिता 12वीं में 82 प्रतिशत अंकों के साथ पास हुई थी.
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तीन भाई बहनों में अंकिता सबसे बड़ी है. अंकिता ने अपनी पढ़ाई के साथ घर की सभी जिम्मेदारी भी सभाली है. क्योंकि, अंकिता की मां काफी बीमार रहती है. अंकिता को घर से स्कूल जाने के लिए पहाड़ जैसी चढ़ाई चढ़कर करीब 6 किमी पैदल चलना पड़ता था. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अंकित अब आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही है. उच्च शिक्षा प्राप्त करना उसके लिए असंभव हो गया, लेकिन गरीबी उसका हौसला नहीं तोड़ पाई और उसने हिम्मत नहीं हारी.