देहरादून/उत्तरकाशी:उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को लेकर शायद ही किसी पंचायत पर इतने गंभीर और बड़े आरोप लगे हों. करोड़ों के कामों में अनियमितता की बात हो या गलत नियुक्ति की, किसी ठेकेदार को फायदा पहुंचाने का आरोप हो या नियम विरुद्ध टेंडर निकालने का मामला, हर वो आरोप जो किसी भी संस्था की साख पर बट्टा लगा सकता है, जिला पंचायत उत्तरकाशी ने झेला है. यही नहीं इन आरोपों का संज्ञान खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने लिया और डीएम से लेकर तमाम अधिकारियों से मामले की जांच भी करवा डाली. लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी ना तो कोई कार्रवाई हुई और ना ही पूरी तरह से क्लीनचिट दी गयी. उधर अब तो आरोप सरकार के कुछ सफेदपोश नेताओं पर मामले को दबाने के भी लगने लगे हैं. सबसे पहले जानिए कि यह पूरा मामला है क्या...
उत्तरकाशी जिला पंचायत का ये भ्रष्टाचार रहा चर्चा में: जिला पंचायत उत्तरकाशी में कथित भ्रष्टाचार का यह कोई नया या किसी से छुपा हुआ मामला नहीं है. दरअसल 1 नवंबर 2020 को उत्तरकाशी जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत ने एक पत्र के माध्यम से तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जिला पंचायत में हो रहे करोड़ों के कथित भ्रष्टाचार की शिकायत की थी. जिसके बाद फौरन तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीन नवंबर को इस मामले की जांच के आदेश देकर 15 दिन में रिपोर्ट तलब की. इसके बाद गढ़वाल कमिश्नर ने 10 नवंबर को उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित को जांच के आदेश दे दिए. मामले की गंभीरता को समझते हुए जिलाधिकारी उत्तरकाशी मयूर दीक्षित ने जांच के लिए 24 टीमें गठित कर विभिन्न योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण कर सत्यापन का काम शुरू करवाया.
- जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण पर यह थे आरोप
- जिला पंचायत अध्यक्ष पर करोड़ों के फर्जी निर्माण कार्य दिखाने का आरोप
- निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का आरोप
- मजदूरों के फर्जी मस्टररोल भरे जाने की थी शिकायत
- बिना स्वीकृति के जिला पंचायत में नियुक्तियां करने के आरोप
- वित्त अधिकारी के बिना करोड़ों रुपए का आहरण करने का आरोप
- चहेती संस्था को 90% काम आवंटित करने का आरोप
- टेंडर में गलत प्रक्रिया कर मनचाहा टेंडर निकालने का आरोप
यही वह आरोप थे जिन को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए गए थे और इस पर जिलाधिकारी ने अपनी जांच भी शुरू कर दी थी. इसमें कहा गया कि नवंबर 2019 से दिसंबर 2020 तक के स्वीकृत कार्यों की जांच करवाई जाए. लिहाजा इन मामलों पर जांच कर जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट संबंधित अधिकारी को भेज दी.
247 योजनाओं पर बिना काम किए पूरा दिखा दिया: चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री को की गई शिकायतों में लगाए गए सभी आरोप जिलाधिकारी की जांच में पुष्ट पाए गए थे. गंभीर मामलों को देखें तो जिला अधिकारी की रिपोर्ट में साफ किया गया कि योजना में स्वीकृत 748 योजनाओं में से 691 योजना का स्थलीय निरीक्षण करवाया गया. इसमें 197 योजना तो ठीक पाई गईं लेकिन 247 योजनाएं धरातल पर कहीं मौजूद ही नहीं थीं. यह नहीं 227 योजनाओं का काम अधूरा था जबकि 14 योजनाएं तो ऐसी थीं जो किसी और मद में 3 से 4 साल पहले ही पूरी हो चुकी थीं. लेकिन उसमें नया बोर्ड लगाकर नई योजना दिखाने की कोशिश की गई थी. जिला पंचायत उत्तरकाशी के कथित भ्रष्टाचार का यह पूरा मामला नवंबर 2019 से दिसंबर 2019 के बीच का था.
जांच में यहां तक पाया गया कि जिला पंचायत के अवर अभियंताओं ने जिन 194 योजनाओं के फोटो सहित काम पूरे होने दर्शाए थे उसमें 40 योजनाएं मौके पर कहीं मौजूद ही नहीं थी. जबकि 55 योजनाएं तो ऐसी थीं जो जिला पंचायत सदस्य की शिकायत के बाद आनन-फानन में लीपापोती कर दिखाने की कोशिश की गई.
मामला इतना भर नहीं है. रघुनाथ एसोसिएट नाम की संस्था को जिला पंचायत उत्तरकाशी में 90% तक काम दे दिए. उधर टेंडर देने में भी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं. यह सब स्थिति जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में दर्ज की गई.
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