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अब एक क्लिक पर मिलेगी कोर्ट केस और क्रिमिनल हिस्ट्री, राजधानी में हुआ ई-प्रॉसिक्यूशन डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ

ई-प्रॉसिक्यूशन डिजिटल पोर्टल के माध्यम से संचालित करने का कार्य देहरादून से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर दिया गया है. आने वाले दिनों में यह सुविधा पूरे राज्य भर के कोर्ट परिसर में उपलब्ध हो सकेगी.

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ई-प्रॉसिक्यूशन डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ

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Published : Jan 25, 2020, 3:49 AM IST

देहरादून: अब उत्तराखंड में किसी भी कोर्ट केस और क्रिमिनल की हिस्ट्री जानने के लिए बस एक क्लिक का जरुरत होगी, जिसके बाद उसकी पूरी जानकारी व स्टेटस सिक्योरिटी एजेंसियों के सामने आ जाएगी. यानी किसी भी कोर्ट में कौन सा केस किस कानूनी प्रक्रिया से गुजर रहा है, उसकी क्या स्थिति है, इसकी जानकारी ई-प्रॉसिक्यूशन डिजिटल पोर्टल के माध्यम से आसानी से मिल जाएगी. इसके अलावा किसी भी क्रिमिनल की कुंडली को जानने के लिए भी इस पोर्टल से मदद मिलेगी.

ई-प्रॉसिक्यूशन डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ

इस डिजिटल सुविधा का सबसे बड़ा मकसद न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और समय से न्याय दिलाना है. अभी तक कोर्ट केस व किसी भी अपराध में क्रिमिनल की हिस्ट्री मैन्युअल दस्तावेजों के तरीके से जुटाई जाती थी, जिसमें काफी समय बर्बाद होता था. अब इस डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए कम समय में आसानी से ज्यादा उपलब्ध हो सकेगी. जिससे कानूनी प्रक्रिया में तेजी आएगी.

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ई-प्रॉसिक्यूशन डिजिटल पोर्टल के माध्यम से संचालित करने का कार्य देहरादून से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर दिया गया है. आने वाले दिनों में यह सुविधा पूरे राज्य भर के कोर्ट परिसर में उपलब्ध हो सकेगी. इस डिजिटल पोर्टल की सुविधा से अब देश के किसी भी कोने के कोर्ट केस व किसी भी क्रिमिनल हिस्ट्री जांच एजेंसियां आसानी से एक जगह बैठ कर जान सकेंगी.

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गृह मंत्रालय द्वारा नियंत्रित इस पोर्टल को उत्तराखंड में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की राज्य इकाई ने विकसित किया है. इसमें NIC द्वारा जहां एक तरफ अपराधिक विचारणों के प्रत्येक स्तर पर की जाने वाली कार्रवाई को ध्यान में रखा गया है, तो वहीं दूसरी ओर अभियोजन विभाग में कार्यरत अधिकारियों के कामकाज व प्रतिदिन कानूनी प्रक्रिया को ई-प्रॉसिक्यूशन डिजिटल पोर्टल माध्यम से अब अपडेट करने की प्रक्रिया विकसित की गई है.

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ई-प्रॉसीक्यूशन डिजिटल पोर्टल के लाभ व आवश्यक बिंदु

  • न्याय में विलंब न हो इसके लिए इस डिजिटल पोर्टल सुविधा के माध्यम से पारदर्शिता आएगी.
  • अभिलंब न्याय के लिए अभियोगों का शीघ्रता से निस्तारण होगा.
  • आपराधिक वादों में भार को कम करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा जा सकेगा.
  • इसके माध्यम से अभियोजन विभाग का कंप्यूटरीकरण डिजिटलाइजेशन किया गया है.
  • इसके माध्यम से समयबद्ध अवधि में विवेचना अधिकारी को एक ही क्लिक पर ऑनलाइन विधिक सलाह दी जा सकेगीय
  • इसके माध्यम से पुलिस द्वारा प्रेषित आरोपपत्र (चार्जशीट)की जांच भी ऑनलाइन की जा सकेगी.
  • आईसीजेएस ( गृह मंत्रालय भारत सरकार) के पोर्टल के माध्यम से सीसीटीएनएस व ई-कोर्ट के सीएनआर से एफआईआर और ई कोर्ट डाटा का एकीकरण भी किया जा सकेगा.
  • निर्दिष्ट सूचना संग्रहण करना और एकल मंच पर उसकी उपलब्धता इस पोर्टल के माध्यम से आसान होगी.
  • क़ानूनी दस्तावेजों अभिलेखों का इस पोर्टल के माध्यम अब संग्रहण (एकत्र) बेहतर हो सकेगा.
  • लोक अभियोजकों की दैनिक क्रियाओं की उचित निगरानी इस पोर्टल के माध्यम से हो सकेगी.
  • इस डिजिटल पोर्टल के माध्यम से अपराध व अपराधियों का पूर्ण ब्योरा आसानी से उपलब्ध होगा.
  • एक नागरिक केंद्रित सेवा जिसमें अपराधी वादों में पैरवी करने वाले लोक अभियोजकों का संपूर्ण विवरण इंटरनेट पर उपलब्ध होगा.

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राजधानी देहरादून से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होने वाले इस ई-प्रॉसि्क्यूशन डिजिटल पोर्टल केंद्र का शुभारंभ डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने किया. इस मौके पर देहरादून जिला जज प्रशांत जोशी व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विवेक श्रीवास्तव व अन्य कानूनी अधिकारी मौजूद रहे.

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इस बारे में जानकारी देते हुए पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि पोर्टल सुविधा से सबसे बड़ा फायदा न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और उसके निस्तारण को गतिशील बनाने के लिए होगा. साथ ही देश के किसी भी कोने में अपराधी का रिकॉर्ड खंगालने, गवाहों के विस्तृत जानकारी और तमाम कानूनी प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने के लिए यह डिजिटल पोर्टल आज के दौर में फायदेमंद साबित होगा.




बाइट -अशोक कुमार महानिदेशक अपराध व कानून व्यवस्था

बाइट- राकेश कुमार शर्मा, स्टेट कोऑर्डिनेटर, आईसीजीएस

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