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'लॉकडाउन' में 'पंचर' हुई ऑटो-रिक्शा चालकों की 'गाड़ी ', परिवारों ने बयां की 'दर्द' की दास्तां

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Published : Apr 21, 2020, 11:37 AM IST

Updated : Apr 21, 2020, 1:56 PM IST

प्रदेश में कोरोना काल और लॉकडाउन के संकट के बीच परेशानियों से घिरे ऑटो और रिक्शा चालकों के परिवार औऱ उनकी परेशानियों को जानने के लिए ईटीवी भारत उनके बीच पहुंचा. जहां हमने इनके परिवारों के दुख को समझने के साथ साझा किया.

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'लॉकडाउन' में 'पंचर' हुई ऑटो-रिक्शा चालकों की 'गाड़ी '

देहरादून: बीती 23 मार्च से प्रदेश में लॉकडाउन जारी है. ऐसे में हर कोई इन दिनों घरों में कैद है. बात अगर राजधानी देहरादून के ऑटो और रिक्शा चालकों की करें तो लॉकडाउन के कारण इनके हालात दिनों-दिनों खराब होते जा रहे हैं. लॉकडाउन के कई दिन बीत जाने के बाद भी इन्हें उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही है. हालात ये हो गये हैं कि अब इनका सब्र, सहूलियतों और जरुरतों के आगे घुटने टेकने लगा है.

'लॉकडाउन' में 'पंचर' हुई ऑटो-रिक्शा चालकों की 'गाड़ी '

प्रदेश में कोरोना काल और लॉकडाउन के संकट के बीच परेशानियों से घिरे ऑटो और रिक्शा चालकों के परिवार औऱ उनकी परेशानियों को जानने के लिए ईटीवी भारत उनके बीच पहुंचा. जहां हमने इनके परिवारों के दुख को समझने के साथ साझा भी किया. मुलाकात में अपने दर्द की दास्तांन बयां करते हुए इन परिवारों ने जो भी कहा वो हर किसी को भावुक करने वाला था.

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लड़खड़ाती आवाज, आखों में नमी और चेहरे पर छाई बेबसी इनके हालातों को खुद ही बयां कर रही थी. बातों ही बातों में भावुक होते हुए ऑटो और रिक्शा ने बताया कि वे तो लॉकडाउन के शुरुआती दिनों से ही बड़ी मुश्किल से गुजर बसर कर रहे थे, मगर लॉकडाउन 2.0 की घोषणा ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया. उन्होंने बताया उनका परिवार इन दिनों किसी तरह नमक रोटी खा कर जीने को मजबूर हैं.

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मदद की गुहार लगाते हुए इस परिवार ने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द उनकी सुध लेनी चाहिए, ऐसा न हो की उनका परिवार भूखमरी का शिकार हो जाए. ये ऑटो और रिक्शा चालक कहते हैं कि देशहित और कोरोना वायरस की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने लॉकडाउन का समर्थन किया था. मगर अब हर बीतते दिन के साथ मानों उनका ये फैसला उनकी ही जान लेने पर आमादा है. सड़कों पर पसरा सन्नाटा, घर की जरुरतें और लॉकडाउन, ये सभी ऑटो-रिक्शा चालकों को चिढ़ा रहें हैं

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बता दें कि राजधानी देहरादून की सड़कों पर सामान्य दिनों में हर दिन लगभग 2500 ऑटो रिक्शाए दौड़ते हैं. मगर लॉकडाउन के कारण आजकल इनके चक्के जाम हो गये हैं. ऐसे में सामान्य दिनों में हर दिन 500 से 600 रुपए कमाने वाले ऑटो-रिक्शा चालकों के हाथ इन दिनों खाली हैं. जिसके कारण इनके परिवार के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है

Last Updated : Apr 21, 2020, 1:56 PM IST

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