देहरादून: चुनाव के लिए जब प्रत्याशियों की घोषणा की जाती है तो टिकट नहीं मिलने से निराश दावेदार हर बार बगावत करते ही हैं. लेकिन इस बार उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए कांग्रेस ने जिस तरह रात को अपनी लिस्ट जारी की और अनेक मजबूत दावेदारों को टिकट नहीं मिला उससे पार्टी में बगावत की बू कुछ ज्यादा ही आ रही है. इसे बू क्या कहें अब तो बगावत का झंडा ही बुलंद हो गया है.
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार देर रात कांग्रेस ने 53 नामों की घोषणा कर दी. पहले तो पार्टी के कार्यकर्ता और दावेदार इस बार पर हैरान थे कि देश की सबसे पुरानी पार्टी को रात में प्रत्याशियों की सूची जारी करने की कौन सी मजबूरी आन पड़ी थी. टिकट के दावेदारों ने जब अपने नाम लिस्ट में नहीं देखे तो फिर नाराजगी सातवें आसमान पर पहुंच गई.
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प्रत्याशियों की यह सूची बाहर आते ही तमाम सीटों पर बगावत के सुर भी उठने लगे हैं. बगावत की आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने नाराज नेताओं को मनाने के लिए पहले ही दिल्ली से पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश को पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेज दिया था. मोहन प्रकाश रविवार को महामंत्री पार्टी संगठन मथुरादत्त जोशी के साथ मिलकर नाराज नेताओं को मनाने में लगे रहे. इस दौरान कांग्रेस की डिजास्टर मैनेजमेंट टीम ने सभी 26 जिलाध्यक्षों के साथ तमाम उन लोगों से फोन पर बात की जो बगावत का झुंडा बुलंद कर रहे हैं. इसके अलावा उन लोगों से भी बात की गई, जिनका नाम पहली सूची में चुनाव लड़ने के लिए घोषित हुआ है.
कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से सुरेश कुमार बिष्ट हैं नाराज:कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार बिष्ट इस बार कर्णप्रयाग सीट से टिकट की उम्मीद लगाए हुए थे. 35 साल से कांग्रेस की सेवा कर रहे इस दावेदार को जब टिकट नहीं मिला तो वो बहुत निराश हुए. अब वो अपने समर्थकों और स्थानीय वोटरों के साथ बैठक करके आगे की रणनीति पर विचार कर रहे हैं. सुरेश कुमार बिष्ट का कहना है कि पिछले 35 साल उन्होंने अपने घर-परिवार और बच्चों से ज्यादा कांग्रेस का ख्याल रखा. लेकिन जब टिकट देकर उन्हें उनकी सेवा का फल मिलना था तब कांग्रेस ने उनके साथ सौतेला व्यवहार कर दिया. अगर सुरेश कुमार बिष्ट कांग्रेस छोड़ते हैं तो कर्णप्रयाग सीट पर कांग्रेस की जीत के आसार भी धुंधले हो सकते हैं.
पिथौरागढ़ की गंगोलीहाट सीट पर भी बगावती सुर: गंगोलीहाट से नारायण राम आर्य अपना टिकट कटने से बेहद आहत और दुखी हैं. आर्य का कहना है कि वह हर अच्छे-बुरे वक्त में अपनी पार्टी कांग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे. हर आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लिया. पार्टी ने अब एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दिया है, जिसने कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा था.