देहरादून:राज्य में वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई सौर ऊर्जा नीति-2018 को लेकर शासन ने एक्सरसाइज तेज कर दी है. मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने 200 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आये प्रस्तावों में अभी तक आये कुल 208 प्रस्तावों को अनुमोदन दिया है. इन आवेदनों के तहत 30 जून 2020 तक कुल 148.85 मेगा वाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी.
सौर ऊर्जा नीति को लेकर शुरू हुई कवायद, 2020 तक 148.85 मेगा वाट की सौर ऊर्जा पर होगा काम
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को इन परियोजनाओं की स्थापना के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करने के साथ ही समय-समय पर इनकी प्रगति समीक्षा के भी निर्देश दिये. उन्होंने अधिकारियों को विकासकर्ताओं के उत्साहवर्धन करने के निर्देश भी दिए.
हाल ही में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने निर्देश दिए थे कि इस परियोजना के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की देरी न की जाए. साथ ही उन्होंने परियोजना की लगातर मॉनिटरिंग करने की बात कही थी. मख्य सचिव ने निर्देश दिये हैं कि चयनित विकासकर्ताओं को अधिकारियों से हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाए. साथ ही, चयनित विकासकर्ताओं को यूपीसीएल की ग्रिड लाइन से जोड़े जाने के लिये समयबद्ध रूप से आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाए.
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को इन परियोजनाओं की स्थापना के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करने के साथ ही समय-समय पर इनकी प्रगति समीक्षा के भी निर्देश दिये. उन्होंने अधिकारियों को विकासकर्ताओं के उत्साहवर्धन करने के निर्देश भी दिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकने तथा स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि विकास के अवसर विकसित करने के लिये की गयी इस पहल से स्थाई निवासियों के प्रतिभाग करने से पर्वतीय क्षेत्रों में इस प्रकार की छोटी-छोटी इकाइयां स्थापित हो सकेंगी.
बता दें कि उरेडा द्वारा इन परियोजनाओं की स्थापना के लिये फरवरी माह में ई-निविदा के माध्यम से प्रस्ताव आमंत्रित किये गये थे. जिसके लिए 30 अप्रैल तक कुल 237 ऑनलाइन प्रस्ताव प्राप्त हुये. जिनका तकनीकी मूल्यांकन समिति परीक्षण किया गया था. जिसके बाद सभी प्राप्त प्रस्तावों में से तकनीकी अर्हता पूर्ण करने वाले 208 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है. इसके साथ ही जनपदों के जिलाधिकारियों से स्थलीय निरीक्षण तथा प्रस्तावित परियोजनाओं के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित होने के सम्बन्ध में सत्यापन कराया गया है.