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एक थी 'टिहरी', 'जलसमाधि' से चुकाई विकास और आधुनिकता की कीमत

अक्टूबर 2005 से टिहरी डैम की टनल दो बन्द की गई और पुरानी टिहरी शहर में जल भराव शुरू हुआ और देखते ही देखते ये खूबसूरत शहर जलमग्न हो गया. आज भी टिहरी डैम की झील का जल स्तर कम होने पर पुरानी टिहरी दिखने लगती है. इसे देखकर ऐसा लगता है मानों एक डूबे हुए शहर की आत्मा आज भी आवाज देती है.

'जलसमाधि' से चुकाई विकास और आधुनिकता की कीमत

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Published : Jul 29, 2019, 11:06 PM IST

Updated : Jul 31, 2019, 1:26 PM IST

देहरादून: पुरानी टिहरी...एक ऐसा शहर जिसे विकास और आधुनिकता की कीमत चुकाने के लिए जल समाधि लेनी पड़ी.31 जुलाई 2004 ये वो ही दिन था जब पुरानी टिहरी विशालकाय झील के आगोश में समा गई थी. खेत खलिहान, ऐतिहासिक इमारतें, घंटाघर और राजा का दरबार देखते ही देखते पानी की तलहटी में समा गया और जो बचा वो सिर्फ यादों में ही रह गया.

एक थी 'टिहरी'.

पुराना टिहरी शहर तीन नदियों भागीरथी, भिलगना ओर घृत गंगा से घिरा हुआ था, इसलिए इसे त्रिहरी नाम से पुकारा जाता था. 1815 में राजा सुदर्शन शाह ने इस शहर को बसाया था. धीरे-धीरे यहां बसावट बढ़ने लगी और ये शहर रफ्तार पकड़ने लगा. 1965 में तत्कालीन केन्द्रीय सिंचाई मंत्री के एल राव ने टिहरी बांध बनाने की घोषणा की. जिसके बाद 29 जुलाई 2005 को टिहरी शहर में पानी घुसा, जिससे सौ से अधिक परिवारों को शहर छोड़ना पड़ा.

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अक्टूबर 2005 से टिहरी डैम की टनल दो बन्द की गई और पुरानी टिहरी शहर में जल भराव शुरू हुआ और देखते ही देखते ये खूबसूरत शहर जलमग्न हो गया. आज भी टिहरी डैम की झील का जल स्तर कम होने पर पुरानी टिहरी दिखने लगती है. इसे देखकर ऐसा लगता है मानों एक डूबे हुए शहर की आत्मा आज भी आवाज देती है.

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पुरानी टिहरी शहर हमेशा ही यहां के लोगों की स्मृतियों में जिंदा रहेगा. एक शहर जरूर डूबा है लेकिन उसने विकास के लिए खुद को समर्पित किया है. आज भी पुरानी टिहर टिहरी को याद करते हुए लोग अपने दौर की खास-खास जगहों पर बीती उन खट्टी-मीठी बातों को साझा करते हुए भावुक हो जाते हैं जो कि इस शहर के प्रति उनका प्यार दिखाते हैं.

Last Updated : Jul 31, 2019, 1:26 PM IST

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