वाराणसी: कोरोना संक्रमण के बढ़ते दौर के साथ बहुत से लोगों ने अपनों को गंवाया है. किसी का बेटा गया है तो किसी का पति, लेकिन मुश्किल की इस घड़ी में अपनों की जिंदगी खोने के बाद भी बहुत से लोग न सिर्फ आज भी लोगों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं, बल्कि दुनिया से रुखसत हो चुके उन अपनों के सपने को पूरा कर रहे हैं, जिन्होंने जीवित रहते हुए समाज की खातिर पूरा जीवन ही न्योछावर कर दिया था. ऐसे ही थे राष्ट्रीय रोटी बैंक के संस्थापक किशोर कांत तिवारी. किशोर की हाल ही में कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई, लेकिन किशोर की मौत के बाद उनका परिवार टूटा नहीं, बल्कि उनकी पत्नी निहारिका ने परिवार के अन्य सदस्यों और दोस्तों के साथ मिलकर किशोर के सपने को पूरा करने की ठान ली. निहारिका ने पति की मौत के अगले ही दिन से रोटी बैंक के मिशन को न सिर्फ जारी रखा बल्कि अपने पति के उस सपने को भी पूरा करने की ठान ली, जो उन्होंने जीते जी देखा था कि कोई भी भूखा न रहे.
पति की मौत के अगले की ही दिन से शुरू किया सेवा कार्य
दरअसल, राष्ट्रीय रोटी बैंक के संस्थापक किशोर कांत की कोरोना संक्रमण के चलते 15 अप्रैल को मौत हो गई थी. किशोर की मौत के बाद गलियों, सड़कों पर हर रोज जीवन यापन करने वाले सैकड़ों लोगों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया था क्योंकि किशोर हर रात सैकड़ों पैकेट बांधकर सड़कों पर निकलते थे और भूखों को खाना खिलाते थे, लेकिन उनकी पत्नी निहारिका ने पति के निधन के 24 घंटे बाद ही 16 अप्रैल से पति की जिम्मेदारियों को कंधे पर ले लिया. रोटी बैंक के अन्य सहयोगियों को फील्ड में खाना बांटने भेज दिया. वहीं किशोर के मित्र रोशन पटेल को जैसे ही इस बात की जानकारी हुई वे नेपाल से नौकरी छोड़कर काशी चले आये.