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समाज के हित में हो शोध का विषय तो यूजीसी देगा फंड: यूजीसी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई योजना शुरु की है. इसके लिए उत्तर प्रदेश के वाराणसी के बीएचयू में इसका नोडल सेंटर बनाया गया है. इस बारे में ईटीवी भारत ने यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो भूषण पटवर्धन से खास बातचीत की.

ईटीवी भारत ने यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो. भूषण पटवर्धन से खास बातचीत की.

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Published : Sep 23, 2019, 7:46 PM IST

वाराणसी: देश की अर्थअवस्था को नया आयाम देने के लिए जन उपयोगी सोच के पैमाने निर्धारित करने पर बल दिया जाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई योजना शुरु की है. स्ट्रायड (स्कीम फॉर ट्रांस- डीसीप्लीनरी रिसर्च फॉर इंडिया डेवलपिंग इकोनॉमी) स्कीम का उद्देश्य अंतर विषयक शोध को बढ़ावा देना होगा. बीएचयू में इसका नोडल सेंटर बनाया गया है. इसके माध्यम से कोई भी शिक्षण संस्थान मानव समाज विषय से जुड़े शोध का प्रस्ताव तैयार कर लगभग 5 करोड़ तक का अनुदान ले सकता है.

ईटीवी भारत ने यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो. भूषण पटवर्धन से खास बातचीत की.

रिसर्च के लिए स्ट्रायड की जरुरत
स्ट्रायड की जरुरत इसलिए ज्यादा है क्योंकि हम सब जानते विज्ञान के विषय में शोध के लिए पर्याप्त अनुदान मिलता है. लेकिन मानविकी इस मामले में हमेशा उपेक्षित रहा है, जबकि देश की अर्थव्यवस्था सामाजिक संरचना का अहम योगदान है. इस नाते सरकार ने मानविकी विषय में गुणवत्ता शोध की पहल की है. गांव को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य आदि मोर्चे पर सुदृढ़ करने के लिए यूजीसी ने सिर्फ महाविद्यालयों राज्य विद्यालय में आधारभूत ढांचा खड़ा करने के लिए, बल्कि जन उपयोगी शोध के लिए भी आवश्यकता अनुदान उपलब्ध कराई कराएगी.

ईटीवी भारत ने यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो. भूषण पटवर्धन से खास बातचीत की
ईटीवी भारत में यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो भूषण पटवर्धन से खास बातचीत की उन्होंने बताया स्ट्रायड का क्या मतलब है. अलग-अलग डीसीप्लीनरी एक हो जाए. यह स्ट्रायड इसमें तीन कंपोनेंट है. पहला कंपोनेंट रिसर्च कैपेसिटी को बढ़ावा देना है. रिसर्च कैपिसिटी को बढ़ावा देने का कारण क्या है. कॉलेज और यूनिवर्सिटी जो स्टेट फंड कॉलेज और यूनिवर्सिटी है. उसमें रिसर्च की काफी कमियां हैं.

जब भी कोई टीम उनके कॉलेज में जाती है वहां यूजीसी की टीम जाती है. हम उनसे पूछते हैं आप रिसर्च क्या कर रहे हो, लेकिन उनको रिसर्च करने के लिए हमें भी मुमकिन बढ़ावा देना चाहिए. इसीलिए वहां का रिसर्च एनवायरनमेंट अच्छा बने इसके लिए अगर वह योजनाएं बनाते हैं. तो उनको हम फंडिंग करेंगे और फंडिग भी थोड़ा-थोड़ा नहीं करेंगे, क्योंकि उसे कुछ फायदा नहीं रहता इसलिए जो पेमेंट करेंगे वह एक करोड़ की करेंगे.

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अब यूजीसी रिसर्च के लिए देगा बड़ी धनराशि
पहली बार रिसर्च के नाम पर यूजीसी में इतनी बड़ी फंडिंग कर रही है. यह सभी डिसिप्लिन के लिए है और किसी भी स्कीम के लिए है. बस उस स्किम का जन उपयोगी होना चाहिए. सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी के लिए है. विशेष कर के पिछड़े हुए कॉलेजों के लिए है. क्योंकि बड़े कॉलेज तो कहीं से भी धन लाते हैं और रिसर्च करा लेते हैं. पहले यूजीसी छोटी-छोटी धनराशि देता था जैसे रिसर्च करना थोड़ा मुश्किल था. इसलिए हमने इसकी मर्यादा बड़ा दी है.

हम ऐसा एक्सपेक्ट करते हैं जो भी लोग रिसर्च करेंगे उसका कुछ न कुछ उपयोग समाज के लिए हो, लाइफ अच्छी होने के लिए, देश की उन्नति के लिए हो, समाज के गति लिए हो. उसमें भी हमने कोई कंडीशन नहीं रखी है. कोई भी आपका रिसर्च कोई भी आपकी टॉपिक हो उसको आप ले कर आइए. क्योंकि मैं मानता हूं कोई भी विषय ऐसा नहीं होगा जिससे समाज का उपयोग न हो या समाज का विकास न हो. आप ऐसे विषय शोध के लिए निकालो जिसका उपयोग समाज के विकास के लिए हो.
-डॉ. भूषण पटवर्धन, उपाध्यक्ष, यूजीसी

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