वाराणसी:माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का पर्व दीपावली 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दीपावली से पहले आज धनत्रयोदशी यानी धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. धनतेरस जिसे माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनके घर आगमन के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. शुक्रवार के दिन भगवान धन्वंतरि यानी देवताओं के वैद्य की उत्पत्ति का दिन भी है. इसलिए इस दिन को धन्वंतरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. जानिए धनतेरस के दौरान पूजा पाठ का शुभ मुहूर्त और शुभ के तौर पर घर लेकर आने वाली किसी वस्तु की जानकारी.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय पांडेय ने बताया कि 25 अक्टूबर को द्वादशी तिथि की समाप्ति शाम लगभग 7 बजे हो रही है. इसके बाद त्रयोदशी तिथि लग रही है. क्योंकि प्रदोष का मान शाम के वक्त ही होता है. इसलिए धनत्रयोदशी का पर्व 25 तारीख को ही मनाया जाएगा. प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय का कहना है कि धनतेरस का पर्व माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन किसी भी धातु से बनी सामग्री जिसमें माता लक्ष्मी का वास माना जाता है, उसे खरीद कर घर लाने की परंपरा है.
धनतेरस पर किसी भी धातू को खरीद पाएं मां लक्ष्मी का आशीर्वाद
ऐसा नहीं है कि सिर्फ स्टील के बर्तन या सोने चांदी की वस्तु खरीदने पर माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है. यह आपकी क्षमता के ऊपर निर्भर करता है कि आप खरीदना क्या चाह रहे हैं. यदि आपकी क्षमता सोना या चांदी खरीदने की नहीं है तो आप पीतल, तांबा या फिर लोहे की वस्तु की खरीद कर ला सकते हैं. क्योंकि किसी भी धातु में माता लक्ष्मी का वास शास्त्रों में बताया गया है. धातु खरीद कर लाना माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाना है. कोई भी धातु लेकर आने से वही फल मिलेगा जो सोने या चांदी के लाने पर मिलता है.
इसे भी पढ़ें:- अमेठी: अगले बरस फिर आने की मनुहार के साथ विदा हुईं मां दुर्गा
आज के दिन की जाती है देवताओं के वैद्य धन्वंतरि और कुबेर की पूजा
प्रोफेसर पांडेय का कहना है कि पौराणिक मान्यताओं में पहले आज के दिन माता लक्ष्मी की धातु की प्रतिमा लाने का विधान होता था. धीरे-धीरे यह बदलकर किसी बर्तन या अन्य सामग्री के रूप में हो गया. आज इसी को प्रचलित किया जाता है कि धनतेरस पर कोई बर्तन अन्य सामान खरीदना चाहिए. आज के दिन धातु की किसी भी वस्तु की खरीदारी करना किसी रूप में शुभ फलदाई होता है. प्रोफेसर विनय पांडे का कहना है कि आज देवताओं के वैद्य धनवंतरी का भी पूजन होता है और कुबेर का भी पूजन किया जाता है.