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डिजिटल पत्थर बताएंगे काशी के घाटों का इतिहास, स्मार्ट सिटी की तर्ज पर हुई शुरुआत

वाराणसी में स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत घाटों के पत्थर घाटों के इतिहास को बयां करेंगे. इसके लिए ऐसी तैयारी की गई है, जिसकी मदद से सिर्फ मोबाइल पर एक क्लिक से ही यहां आने वाले सैलानियों को उस घाट से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध हो जाएगी.

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Published : Jan 16, 2021, 8:48 AM IST

डिजिटल पत्थर बताएंगे काशी के घाटों का इतिहास.
डिजिटल पत्थर बताएंगे काशी के घाटों का इतिहास.

वाराणसी: इतिहास के पन्नों से भी ज्यादा पुरानी नगरी काशी है, जिसे आज के समय में भी जीवंत नगरी के नाम से जाना जाता है. इस जीवंत नगरी का इतिहास जानना हर कोई चाहता है. खासतौर पर यहां आने वाले सैलानी घाटों पर घूमते वक्त इन घाटों से जुड़े तमाम इतिहास को जानने के इच्छुक होते हैं, लेकिन घाटों पर जानकारी उपलब्ध न हो पाने की वजह से अक्सर वह निराश हो जाते थे. लेकिन अब स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत घाटों के पत्थर घाटों के इतिहास को बयां करेंगे. इसके लिए ऐसी तैयारी की गई है, जिसकी मदद से सिर्फ मोबाइल पर एक क्लिक से ही यहां आने वाले सैलानियों को उस घाट से संबंधित न सिर्फ जानकारियां उपलब्ध होंगी, बल्कि ऑडियो वीडियो मैटेरियल के जरिए मोबाइल पर घाट के इतिहास से भी रूबरू हो सकेंगे.

डिजिटल पत्थर बताएंगे काशी के घाटों का इतिहास.

पत्थर पर होगा डिजिटल क्यूआर कोड
दरअसल, केंद्र सरकार के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग लगातार बनारस में पर्यटकों की सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. बनारस आने वाले सैलानियों को भी बनारस के घाटों के इतिहास से रूबरू कराने के लिए स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत हर घाट पर पत्थर के साथ डिजिटल क्यूआर कोड लगाए जा रहे हैं. यह क्यूआर कोड मोबाइल फोन से स्कैन के बाद पर्यटकों को सीधे स्मार्ट सिटी की वेबसाइट से कनेक्ट कर देंगे. इस स्मार्ट सिटी की वेबसाइट में बनारस के घाटों का इतिहास तो पता ही चलेगा. साथ ही साथ डिजिटल ऑडियो वीडियो मटेरियल के जरिए इतिहास को और रोचक तरीके से पेश किया जाएगा.

लगभग 5 करोड़ का खर्च
घाटों पर डिजिटल साइनेज पर क्यूआरकोड लगाने में लगभग 5 करोड़ का खर्च आ रहा है. योजना में सभी 84 घाट शामिल हैं. हालांकि शुरुवात में यह योजना सिर्फ कुछ प्रमुख घाटों पर लागू होगी. जिसे लगभग 2 महीने में पूरा कर लिया जाएगा. यह योजना खास पर्यटकों के लिए ही लाया गया है, ताकि उन्हें घाटों को लेकर जानकारी के कही भटकना न पड़े. उनके मोबाइल के जरिए ही पूरी जानकारी उन्हें उपलब्ध हो जाए.

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