वाराणसीः शहर के लंका चौराहे पर एक व्यक्ति कार में रंग-बिरंगे हेलमेट रखकर लोगों को किताब के बदले हेलमेट दे रहा है. इसके बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने जानने की कोशिश कि तो पता चला कि यह व्यक्ति पूरे भारत में अब तक 48 हजार लोगों को किताब के बदले हेलमेट दे चुका है. हेलमेट देने के पीछे एक बड़ी वजह भी है, जो राघवेंद्र ने खुद मीडिया के सामने बताया.
राघवेंद्र ने बताया कि 2014 में हेलमेट नहीं लगाने की वजह से उनके दोस्त की मौत हो गई थी, तभी से उन्होंने लोगों को फ्री में हेलटमेट देने और जागरूक करने की ठान लिया. वहीं दोस्त के घर में जो पुरानी पुस्तक रखी हुई थी, उसको एक जरूरतमंद को दे दिया था. 2 साल बाद उसकी मां का फोन आया और उसने बताया कि आपने जो पुस्तक दिया था उसे पढ़ने से मेरे बेटे का जिले में दूसरा स्थान आया है. तब से राघवेंद्र ने प्रण लिया कि जो कोई उनको पुस्तक देगा उन्हें वह हेलमेट देंगे.
पुस्तक के बदले देते हैं हेलमेट
हेलमेट मैन ने बताया कि वह भारत के 22 राज्यों में 6 लाख बच्चों को पुस्तक दे चुके हैं. राघवेंद्र का कहना है कि बहुत से लोगों के पास पुरानी पुस्तकें पड़ी हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं होता. ऐसी पुस्तकों को हम उनसे लेते हैं और उसके बदले में हम लोगों को हेलमेट देते हैं. जिले के विभिन्न स्थानों में पुरानी पुस्तकों के बदले नया हेलमेट देने का कार्य कर रहे हैं. उनका कहना है कि पढ़े-लिखे लोग ही सबसे ज्यादा ट्रैफिक रूल तोड़ते हैं. ऐसे में उनके घरों में धूल खा रही पुस्तक किसी के काम आ सकती हैं.