वाराणसी: बेटी होना सिर्फ पहले ही नहीं आज भी कई जगहों पर शाप ही माना जाता है, लेकिन महादेव की नगरी काशी हर अभिशाप को वरदान में बदलने की हिम्मत रखती है. एक ऐसी ही बेटी शिप्रा धर श्रीवास्तव जो पेशे से डॉक्टर हैं और काशी में पल कर बड़ी हुईं. इन्होंने बेटियों के पैदा होने पर फीस माफ कर देने के संकल्प से कई परिवारों के चेहरों पर रौनक लाई है.
डॉक्टर शिप्रा श्रीवास्तव 2014 से समाज सेवा का कार्य कर रही हैं. डॉक्टर शिप्रा अपने नर्सिंग होम में पैदा होने वाली लड़कियों के माता पिता से किसी भी प्रकार की कोई फीस नहीं लेती हैं. उनके नर्सिंग होम में आने वाली महिल अगर बेटी को जन्म देती हैं तो उसका पूरा इलाज मुफ्त होता है.
डॉक्टर शिप्रा बेटियों के जन्म पर नहीं लेती हैं फीस काशी की इस महिला डॉक्टर के कार्यों से खुश होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले वाराणसी दौरे में शिप्रा श्रीवास्तव के कार्यों को सराहा था. डॉक्टर शिप्रा के नर्सिंग होम में अब तक 290 बेटियों का जन्म हो चुका है. इसकी किसी भी तरीके की कोई मेडिकल फीस चार्ज नहीं की गई है.
यहां पर आए हुए मरीजों का कहना है कि अस्पताल में परिवार की तरह मिल रही सभी सुविधाओं से वह बेहद खुश हैं. बेटियों के जन्म के बाद उसका बहुत अच्छे से ख्याल भी रखा जा रहा है.इस महिला डॉक्टर ने अपने अस्पताल में इन बच्चियों को पढ़ाने की व्यवस्था भी कर रखी है. यह सुविधा समाज में रह रही उन बेटियों के लिए है जो घरों में काम करके अपना जीवन बिता रही हैं. अब वह पढ़ लिख कर अपने परिवार को गर्व महसूस करा सकेंगी.