वाराणसी:ओडिशा के पुरी की तर्ज पर धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में भी हर वर्ष भगवान जगनन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है. इस रथ यात्रा का आयोजन 3 दिनों तक होता है. वाराणसी के रथयात्रा क्षेत्र में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस मेले में हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. वहीं, प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी 3 दिवसीय रथयात्रा मेले की शुरुआत 20 जून से हो गई है.
वहीं काशी में भगवान जगन्नाथ यात्रा के इस कार्यक्रम का इतिहास वर्षों पुराना है. भगवान जगन्नाथ की यात्रा के साथ एक बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है. इस मेले में बनारस की प्रसिद्ध नानखटाई की बिक्री बढ़ जाती है. मेले का समय नजदीक आते ही दुकानदार सड़क के किनारे बड़े-बड़े स्टॉल लगाते हैं. रथयात्रा मेले में नानखटाई का भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया जाता है. इसलिए भी रथयात्रा मेले में नानखटाई का महत्व बढ़ जाता है और बड़ी संख्या में लोग नानखटाई खरीदते हैं.
वहीं अगर यह कहा जाए कि पुराने समय की एक ऐसी चीज, जिसका स्वाद समय के साथ बदल कर और स्वादिष्ट हो गया है तो वह नानखटाई है. इसकी खासियत है कि इसे मुंह में रखते ही ये घुल जाती है. रथयात्रा मेले में श्रद्धालु व पर्यटक नानखटाई को खरीदते हैं. नानखटाई की अलग-अलग किस्मे हैं. जैसे देसी घी में नारियल केसर की नानखटाई, देसी घी में नारियल वनीला की नानखटाई, देसी घी में नारियल काजू की नानखटाई, काजू केसर की नानखटाई, देसी घी में काजू चॉकलेट की नानखटाई, पंचमेवा केसर नानखटाई समेत अन्य किस्म की नानखटाई रथयात्रा मेले में बिकती हैं.