BHU में छात्रों का सीट बढ़ाने की मांग को लेकर धरना जारी, धरनास्थल पर ही छठ मनाएंगे
काशी हिंदू विश्वविद्यालय ( Banaras Hindu University) के बीएएमएस (BAMS) के छात्र 19 दिनों से सीट बढ़ाने की मांग को लेकर के आंदोलन कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर फीस वृद्धि की मांग को लेकर के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (All India Student Council) के द्वारा डीन ऑफिस के पार्किंग में 11 दिनों से आंदोलन कर रहा है.
वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में 19 दिनों से सीट वृद्धि की मांग को लेकर के धरनारत हैं. धनतेरस पर छात्रों ने पूजा अर्चना कर विवि प्रशासन के सद्बुद्धि की कामना की थी. वहीं, दिवाली के पर्व में धरना स्थल पर दीप प्रज्वलित कर विश्वविद्यालय प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई. छात्रों का कहना है कि अब वो छठ भी यहीं मनाएंगे.
बता दें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में एक ओर जहां बीएएमएस (BAMS) के छात्र 19 दिनों से सीट बढ़ाने की मांग को लेकर के आंदोलन कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर फीस वृद्धि की मांग को लेकर के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (All India Student Council) के द्वारा डीन ऑफिस के पार्किंग में 11 दिनों से आंदोलन किया जा रहा है. आंदोलनरत छात्र धरना स्थल पर ही चूल्हे पर खाना बनाकर गुजारा कर रहे हैं.
31अक्टूबर तक चलेगा धरना
बीएचयू वीसी आवास के समक्ष पीजी में 45 सीट बढ़ाने की मांग को लेकर के आंदोलनरत छात्रों का यह विरोध 31 अक्टूबर तक जारी रहेगा. छात्रों का कहना है कि केवल अक्टूबर महीने में ही नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (National Commission for Indian System of Medicine) का पोर्टल खुलता है. इसलिए अक्टूबर के बाद सीट बढ़ोतरी का काम बंद हो जाएगा. लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही नहीं खत्म होगी. छात्रों ने कहा कि बीते 2 सालों से ऐसे ही विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी मांगों को अनसुना कर रहा है. इस बार फिर से वह अपनी मनमानी कर रहा है. छात्रों का कहना है कि फीस वृद्धि के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को महज 80 लाख का भुगतान करना है.
खुले आसमान के नीचे रात बिता रहे छात्र
बता दें कि 19 दिन से बीएएमएस (BAMS) के छात्र खुले आसमान के नीचे अपनी रात बिताने को मजबूर हैं. आंदोलन के क्रम में छात्रों ने दो बार ओपीडी (OPD) सेवाओं को बंद भी किया था. उस समय प्रॉक्टोरियल बोर्ड के साथ धक्का-मुक्की भी हुई थी. लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन इनकी मांगों को अनसुना किए हुए है.
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