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एक जेल ऐसा भी जहां कैदियों को दी जा रही प्राइमरी से कक्षा 8 तक की शिक्षा

सोनभद्र जिला कारागार गुरमा में सर्व शिक्षा अभियान के तहत जेल में सजायाफ्ता बंदियों को शिक्षित किया जा रहा है. यहां एक प्रधान अध्यापक समेत तीन सहायक अध्यापक बंदियों को साक्षर बनाने में भूमिका निभा रहे हैं. इतना ही नहीं पढ़ाई के बाद बंदियों की समय -समय पर अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षा भी ली जाती है.

जिला कारगार में कैदियों की दी जा रही है शिक्षा.

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Published : Mar 29, 2019, 10:05 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र : उत्तर प्रदेश सरकार की सराहनीय पहल के तहत जनपद सोनभद्र के जिला जेल गुरमा में विभिन्न अपराधों में निरुद्ध बंदियों को शिक्षित किया जा रहा है. इसके लिए जिला अधीक्षक के प्रयास के बाद जिलाधिकारी व जिला बेसिक शिक्षाधिकारी के निर्देश पर एक प्रधानाध्यापक समेत 3 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की गई. इनकी देख-रेख में नियमित 1 से लेकर 8 तक की कक्षाएं संचालित हो रही हैं. जिससे कैदी बाहर जाकर एक सभ्य समाज की रचना कर सकें.

जिला कारगार में कैदियों की दी जा रही है शिक्षा.

आदिवासी जनपद के साथ-साथ अति पिछड़ा भी है, जिसके कारण यहां पर अशिक्षा व्यापक पैमाने पर है, जिससे यहां पर आदिवासी क्षेत्रों के लोग अपराध की दुनिया में चले जाते हैं. अगर उनको शिक्षित बना दिया जाए तो कहीं न कहीं वह अपराध की दुनिया से दूर हो जायेंगे.जेल में निरुद्ध 302 का अपराध में सजा काट रहे एक बंधी ने बताया कि यहां पर शिक्षा प्राप्त कर रहा है. शिक्षा से अच्छा कार्य करने की सीख मिलेगी.

वहीं दूसरेबन्दी ने बताया की पहले हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं था. इस कारण से गलत रास्ते पर चला गया.शिक्षकों द्वारा नैतिक मूल्यों के बारे में बताया गया है. आज कक्षा आठ की परीक्षा दे रहा हूं, बाहर जाकर समाज में लोगों के हितों की रक्षा करूंगा. मैं पढ़ लिखकर खाद्यान्न मंत्री बनना चाहता हूं ताकि जो गरीब लोग भूखे मर जाते हैं. उनको भर पेट भोजन की व्यवस्था करा सकें.

बंदियों को शिक्षित करनेवाले अध्यापकों ने बताया कि जेल अधीक्षक की बहुत अच्छी पहल है, जो लोग अपनी अधूरी पढ़ाई छोड़ दिए हैं. उन्हें पढ़ाई करने का अच्छा अवसर मिल रहा है.इसी क्रम में कक्षा 1 से लेकर 8 तक की परीक्षा संचालित करवा रहे हैं.जनपद सोनभद्र बहुत ही पिछड़ा क्षेत्र है. यहां शिक्षा की बहुत कमी है. हम लोगों का अनुभव है कि जो लोग अधूरी शिक्षा के कारण ड्रॉप आउट हो गए हैं.वह कहीं न कहीं गलत रास्ते पर जाकर जेल में बन्द हैं. शिक्षित होने के बाद बाहर निकलकर जिस कार्य को करेंगे, वह बेहतर करेंगे और फिर गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे.

वहीं जेल अधीक्षक ने बताया कि जब मैं आया था तो देखा कि यहां पर बंदियों में शिक्षा की बहुत कमी है.यहां पर लगभग 90 प्रतिशतबंदी आदिवासी थे.मेरे दिमाग में आया कि यहां युद्ध स्तर पर बंदियों को शिक्षित करें और मुख्यधारा में जुड़ने का काम किया जाए.जिसके लिए जिलाधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से मुलाकात की. काफी प्रयास के बाद यहां पर एक प्रधानाध्यापक समेत तीन सहायक अध्यापकों की नियुक्ति हो पाई.

नियुक्ति के बाद अध्यापक यहां नहीं आना चाहते थे, वे यहांसे भाग जाना चाहते थे लेकिन काफी समझाने बुझाने के बाद मैं भी उनके साथ नियमित कक्षाओं में जाता था.आज बंदियों कोबड़े प्रेम से शिक्षा दे रहे हैं.सरकार की अनुमति के बाद कक्षा एक से लेकर आठ तक की परीक्षाएं कराई जा रही हैं.आगे भी मेरा प्रयास है कि हाई स्कूल, इंटर और उत्तर शिक्षा के माध्यम से भी उनको शिक्षित करने का कार्य किया जाए.वहीं रोजगार के क्षेत्र में भी काफी कार्य किया जा रहा है. सिलाई, कढ़ाई की भी शिक्षा दी जा रही है. आगे और भी कार्यक्रम के लिए प्रयास किया जा रहा है. ताकि कारागार से छूटने के बाद बंदियों के पास यक्ष प्रश्न नखड़ा हो कि हम क्या करें.दुबारा अपराध की दुनिया में कदम नरखें. इसके लिए इनको रोजगार की भी शिक्षा दी जा रही है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

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