प्रयागराजः इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के तहत एक पहल होने जा रही है. जिससे छात्रों को पीएचडी में प्रवेश के लिए क्रेट की परीक्षा नहीं देनी होगी. विश्वविद्यालय में तीन नए इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू हो रहे हैं. जिसमें पीजी पीएचडी के लिए एक ही बार प्रवेश परीक्षा देनी होगी. विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पीजी पीएचडी कोर्स को हरी झंडी मिल गयी है. सीमित सीट वाले इस कोर्स में प्रवेश आगामी सत्र 2023 से शुरू हो जाएगा.
बता दें, कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नयी शिक्षा नीति के तहत न सिर्फ नए कोर्स शुरू किए जा रहे हैं. बल्कि प्रवेश प्रक्रिया को भी सरल बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसी कड़ी के तहत यूनिवर्सिटी में पीजी पीएचडी कोर्स को मंजूरी मिल चुकी है. सत्र 2023 से एमएससी पीएचडी कोर्स में दाखिले के लिए कॉग्निटिव साइंस जॉइंट एंट्रेंस टेस्ट (COGJET) होगा. एमएससी पीएचडी कॉग्निटिव साइंस, एमएससी, पीएचडी इन ह्यूमन कम्प्यूटर इंटरेक्शन और एमएससी पीएचडी कॉग्निटिव एंड क्लिनिकल न्यूरोसाइकोलॉजी में शुरुआत में 20-20 सीटों पर प्रवेश देने की योजना बनी है.
कैसे मिलेगी पीजी से पीएचडी तक की डिग्री
इस कोर्स में दाखिला लेने के बाद अगर कोई छात्र पहले साल भर का कोर्स करके पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगा. दो साल का कोर्स पूरा करके कोई छात्र कोर्स छोड़ेगा तो उसे पीजी की डिग्री दी जाएगी. इसके अलावा जो छात्र पांच साल का कोर्स पूरा करेंगे उन्हें पीजी के साथ ही पीएचडी की उपाधि भी दी जाएगी.
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यूनिवर्सिटी में शुरू हो रहे इस नए कोर्स में प्रवेश लेने वाले छात्रों को पीजी की कक्षाओं में प्रवेश के लिए परीक्षा देनी होगी. जिस भी छात्र का प्रवेश परीक्षा में चयन होता है उसे परस्नातक के बाद पांच साल का कोर्स पूरा करने पर पीएचडी की उपाधि भी दी जाएगी. अभी पीएचडी करने के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा देनी होती है, जिसमें चयन होने में बाद छात्रों को पीएचडी करने का मौका मिलता है. इस पांच वर्षीय इंट्रीग्रेटेड कोर्स को करने से छात्रों को पीजी से पीएचडी तक कि पढ़ाई में ज्यादा समय खर्च नहीं करना पड़ेगा. जिससे छात्रों का समय और फीस दोनों बचेगा.