प्रयागराजःखतरनाक कोरोना वायरस के बाद अब प्रदेश में जीका वायरस(Zika virus) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. ऐसे में बच्चे हों या बूढ़े सभी को इसे लेकर सचेत रहने की जरूरत है. विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को इसे लेकर पूरी सावधानी बरतनी होगी. साथ ही चिकित्सकों की राय है कि वायरस के लक्षणों को इग्नोर करना गर्भवती महिलाओंं व उनके शिशु के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.
क्या है माइक्रोसिफेली
बता दें कि वायरस के चपेट में आने के बाद शिशु का दिमागी विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता जिसे माइक्रोसिफेली (microcephaly) कहते हैं. यह एडीज इजिप्टी नाम के मच्छर से फैलता है. यही मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया आदि विषाणुओं को फैलाने के लिए जिम्मेदार होता है. लिहाजा जीका एक बड़ी जन-स्वास्थ्य समस्या बन गया है. साथ ही मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है और जिसके खून में वायरस मौजूद है तो यह किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है. ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को जीका से बेहद सावधान रहने की जरूरत है.
जीका वायरस के विषय में बताती डॉक्टर वर्तिका
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यह है जीका वायरस के लक्षण
सिर दर्द
शरीर पर चकत्ते
मांसपेशियों में दर्द
जोड़ों में दर्द
आंख लाल होना
देश के केरल से कानपुर तक अपने दहशत को फैलाने वाले जीका को लेकर डॉक्टर वर्तिका ने कहा कि वायरस संक्रमित महिला के गर्भ में फैल सकता है जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को मस्तिष्क रोग हो सकता है. चिंताजनक है कि संक्रमण के लिए अभी कोई टीका उपलब्ध नहीं है. ऐसे में विशेष रूप से प्रेगनेंट महिलाओं को मच्छरों से भली भांति अपना बचाव करना चाहिए. यदि प्रेगनेंट महिला वायरस से संक्रमित हैं तो नवजात में भी यह आसानी से फैल सकता है. साथ ही जिस व्यक्ति के शरीर में वायरस होता है उससे शारीरिक संबंध बनाने पर यह एक इंसान से दूसरे के शरीर में प्रवेश कर जाता है. वहीं गर्भ में पल रहे शिशु में भी यह फैल जाता है.
प्रेगनेंसी में जीका वायरस के लक्षण
यदि आप प्रेगनेंट हैं और जीका से संक्रमित हैं तो आपको तेज बुखार के साथ-साथ शरीर पर लाल रैशेज होंगे. इसे नजरअंदाज न करें और डॉक्टर को जरूर दिखाएं. इस वायरस का पता ब्लड टेस्ट से ही चलता है.
ब्रेस्टफीडिंग करवा सकती है मां
डॉक्टर ने आगे बताया कि मां अपने बच्चे को ब्रेस्टफीड करवा सकती हैं, क्योंकि स्तनपान कहीं न कहीं जीका के खतरे से कहीं ज्यादा ही फायदे मंद होता है.
जीका वायरस से बचाव के उपाय
चिंताजनक है कि इस वायरस का कोई इलाज नहीं है. ऐसे में इससे बचने का एकमात्र विकल्प इसके जोखिम को कम करना है. यदि आप प्रेगनेंट हैं, तो अपना विशेष ख्याल रखें और खासकर अपने घर के आसपास से मच्छरों को दूर रखें.
मच्छरों को घर से दूर रखने के लिए कीट नाशकों का उपयोग करें
पूरी बाजू के कपड़े पहनें
शाम के समय खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें
मच्छरदानी में सोएं
ऐसे मच्छर रुके हुए पानी में अपने अंडे देते हैं, इसलिए पानी को घर या घर के आसपास इकट्ठा होने से रोकें व
महिलाओं को प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा करने से बचना चाहिए.
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