उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मुफलिसी की व्हीलचेयर पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट प्लेयर, परिवार के लिए कर रहा पेट्रोल पंप पर नौकरी

खेल की दुनिया बड़ी निर्दयी है, ये खिलाड़ी को भगवान का दर्जा भी देती है और कई लोगों से काफी कुछ छीन भी लेती है. हर खिलाड़ी अपने देश के लिए खेलना चाहता है, उसका सपना होता है कि वह भी दूसरों की तरह खेले, आगे बढ़े. मगर महज चुनिंदा लोगों का ही यह सपना पूरा हो पाता है. वहीं कई खिलाड़ी तो मजबूरी में खेल छोड़ देते हैं. जिंदगी उन्हें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है कि खेल को तरजीह दें तो घर का चूल्हा कैसे जलेगा. कुछ ऐसे ही मोड़ पर आ खाड़ा हुआ है ये दिव्यांग व्हीलचेयर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर ललित पाठक. आइए जानते हैं कि आखिर क्या मजबूरी रही जो उन्होंने क्रिकेट छोड़ कर पेट्रोल पंप पर नौकरी कर ली.

परिवार के लिए कर रहा पेट्रोल पंप पर नौकरी
परिवार के लिए कर रहा पेट्रोल पंप पर नौकरी

By

Published : Nov 13, 2021, 7:54 AM IST

Updated : Nov 13, 2021, 10:18 AM IST

प्रयागराज: जिस क्रिकेट के जुनून में दिन रात एक कर पसीना बहाया और ट्रॉफियां जीती, वह क्रिकेट जब दो वक्त की रोटी न दे सका तो प्रयागराज के ललित पाठक ने पेट्रोल पंप पर नौकरी कर ली. जी हां, यह सच्चाई है अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेटर की जो आज मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर है. मायूसी ऐसी कि किसी के सामने अपनी पहचान तक उजागर करने से बचता है.

देश में कई बार ऐसी खबरें सामने आती रही हैं जब कोई प्रतिभावान खिलाड़ी गरीबी की जिंदगी जीने पर मजबूर है, जो खिलाड़ी मैदान पर अपना हुनर दिखाते दिखना चाहिए वह घर चलाने के लिए पेट्रोल पंप पर काम करता दिख जाए तो किसी का भी दिल पसीज जाए. प्रयागराज स्थित मीरापुर के ललित पाठक व्हील चेयर क्रिकेट टीम के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी है जो आज परिवार चलाने के लिए पेट्रोल पम्प पर काम करने को मजबूर हैं.

परिवार के लिए कर रहा पेट्रोल पंप पर नौकरी

हमने जब ललित से बात की तो वह कहते हैं कि पीछले दो वर्षों से आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है, जिससे घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. साथ ही एक पैर के दिव्यांग होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आर्टीफीशियल पैर पर हमने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सरकारी महकमे में अर्जी भी लगा चुके हैं लेकिन कई चक्कर लगाने के बाद भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने हमें यह भी बताया कि अपने ट्रेंड को चेंज कर पैरा ओलंपिक व्हीलचेयर तलवारबाजी में राष्ट्रीय स्तर पर कंपटीशन फेस किया और उसमें भी ब्राउन मेडल जीता है.

मुफलिसी की व्हीलचेयर पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट प्लेयर



यह भी पढ़ें- योगी के बाद अब कैराना में पंचायत करेगा संयुक्त किसान मोर्चा, 12 दिसंबर को गरजेंगे राकेश टिकैत



दरअसल, क्रिकेट के प्रति शुरू से ही लगाव रखने वाले ललित ट्रेन हादसे में दोनों पैर गवा बैठे थे, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. सोशल मीडिया के माध्यम से व्हीलचेयर क्रिकेट को लेकर दिव्यांग कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (DCCBI) से बात की और अपने प्रदर्शन के दम पर दिव्यांग क्रिकेट इंटरनेशनल में एक ऑलराउंडर क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में अपनी जगह बना ली.

मुफलिसी की व्हीलचेयर पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट प्लेयर

यह भी पढ़ें- जानिए पेंटर से कैसे करोड़ों का मालिक बना गायत्री प्रजापति और फिर पहुंचा सलाखों के पीछे



जिसके बाद इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत करते हुए 2017 मे त्रिकोणीय टूर्नामेंट में नेपाल, भारत और बांग्लादेश 2018 में गोरेगांव स्टेडियम मुंबई, बिलेट्राल सीरीज भारत और बांग्लादेश के साथ साथ और भी कई नेशनल और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में अपना जौहर को दिखाते रहे. वहीं जब हमने खिलाड़ी को आर्टीफीशियल पैर मिलने में हो रही देरी पर जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी नन्द किशोरी याज्ञिक से बात की तो वह कहते हैं कि जिन बच्चों के हाथ पैर नहीं हैं, उन लोगों को आर्टिफिशियल लिम्स भी हमारी सरकार प्रोवाइड कराती है.



उम्मीद मगर बाकी है

ललित कहते हैं कि जब से सोशल मीडिया पर मेरी कहानी लोगों के सामने आई है, मेरी मदद के लिए हाथ बढ़ रहे हैं. मगर मैं किसी तरह की राशि मदद के रूप में नहीं लेना चाहता. मैं चाहता हूं कि यदि मुझे किसी अकादमी या संस्थान में क्रिकेट कोच की नौकरी मिल जाए तो मैं अपने बिखरे हुए सपने को समेट सकूंगा. वह कहते हैं कि क्रिकेट मेरा जुनून था, अब भी है और आगे भी रहेगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Nov 13, 2021, 10:18 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details