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Published : Jan 23, 2020, 2:30 AM IST

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पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती मामला 2018: हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड और प्रदेश सरकार से किया जवाब-तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती 2018 के अभ्यर्थी की लंबाई को लेकर उठे विवाद पर पुलिस भर्ती बोर्ड और प्रदेश सरकार से जवाब-तलब किया है. वहीं एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले में आरोपी नाबालिग को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं मिल सकता.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती 2018 के अभ्यर्थी की लंबाई को लेकर उठे विवाद पर पुलिस भर्ती बोर्ड और प्रदेश सरकार से जवाब-तलब किया है. दिलीप कुमार गुप्ता की याचिका पर न्यायमूर्ति जे.जे मुनीर सुनवाई कर रहे हैं.

ये है पूरा मामला
याची के अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन का कहना था कि याची 2018 की कॉन्स्टेबल भर्ती में शामिल हुआ. सभी परीक्षाएं पास करने के बाद मेडिकल फिटनेस में उसकी लंबाई 166 सेंटीमीटर नापी गई, जोकि तय मानक से कम है. जबकि याची 2013 के कॉन्स्टेबल भर्ती में भी शामिल हुआ था, वहां जांच में उसकी ऊंचाई 168 सेंटीमीटर नापी गई थी, जो तय मानक के अनुरूप है और भर्ती होने के लिए उपयुक्त है. उसकी लंबाई नापने में मानक के उपकरणों का प्रयोग नहीं किया गया. इस वजह से दो अलग-अलग जांचों में लंबाई में अंतर आया है. कोर्ट ने इस मामले में पुलिस भर्ती बोर्ड को 3 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

नाबालिग की अग्रिम जमानत अर्जी पोषणीय नहीं- हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मामले में आरोपी नाबालिग को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं मिल सकता. हाईकोर्ट में दाखिल अग्रिम जमानत अर्जी पोषणीय नहीं है. कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट का कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाल संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है.

बाल संरक्षण विशेष कानून के तहत नहीं हो सकती गिरफ्तारी
कोर्ट का कहना है कि अधिनियम की धारा 10 व 12 के अंतर्गत नाबालिग के मामलों में स्पेशल पुलिस यूनिट एवं चाइल्ड वेलफेयर पुलिस ऑफिसर कार्रवाई करते हैं. नाबालिग को 24 घंटे के भीतर बाल न्याय बोर्ड के सामने पेश करना होता है, जिसे जांच कर उचित आदेश पारित करने का अधिकार हैं. पुलिस नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती और विशेष कानून के तहत उसे संरक्षण प्राप्त है. ऐसे में यह कहना कि बोर्ड को अग्रिम जमानत देने का अधिकार नहीं है, इसलिए हाईकोर्ट या सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत की अर्जी की सुनवाई होनी चाहिए, विधिसम्मत नहीं है.

कोर्ट ने धोखाधड़ी, षड्यंत्र व अन्य आरोपों में आरोपित साहब अली व अन्य की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कानूनी उपबंधों व गये न्यायिक निर्णयों का परिशीलन करते हुए दिया है. राज्य सरकार के अधिवक्ता विकास सहाय ने अर्जी की पोषणीयता पर आपत्ति की और कहा कि पुलिस नाबालिग की गिरफ्तारी नहीं कर सकती, इसलिए गिरफ्तारी की आशंका का कोई प्रश्न ही नहीं है.

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