प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट में 18 साल से लंबित गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) नई दिल्ली में होगी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की आपत्ति पर सुनवाई के बाद इस अहम मामले की जनहित याचिका अधिकरण को स्थानांतरित (Allahabad High Court on pollution in Ganga) कर दिया है.
गंगा में प्रदूषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर, न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता एवं न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्ण पीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. पूर्ण पीठ ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र का तर्क स्वीकार कर लिया. महाधिवक्ता का कहना था कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया है और गंगा प्रदूषण सहित इससे जुड़े सभी मामलों की सुनवाई के लिए एनजीटी का गठन किया गया है.
वैकल्पिक उपचार के कारण गंगा से जुड़ी इस जनहित याचिका को भी सुनवाई के लिए अधिकरण भेजा जाए. याची अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व सुनीता शर्मा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि गंगा प्रदूषण के अलावा शहर की अन्य समस्याएं भी याचिका से जुड़ी हैं. लगभग एक दर्जन याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई होती है. यमुना प्रदूषण मामला भी जुड़ा है. सरकार कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रही है इसलिए तकनीकी आधार पर याचिका की सुनवाई टालने की कोशिश की जा रही है.
गौरतलब है कि गंगा प्रदूषण को लेकर याचिका स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने दाखिल की थी. बाद में कोर्ट ने इसकी गंगा प्रदूषण मामले के रूप में सुनवाई जारी रखी. याचिका पर सुनवाई के दौरान गंगा के कछार में लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए हाईकोर्ट ने 1973 के अधिकतम बाढ़ बिंदु को आधार मानकर कर उससे 500 मीटर तक निर्माण पर रोक लगा दी.केवल गंगा में प्रदूषण न करने वाले मठ-मंदिरों के निर्माण व पुराने भवन के पुनर्निर्माण की अनुमति दी गई.