प्रयागराजःजिले के बसवार गांव में बुधवार को अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले विशाल जनसभा और किसान पंचायत का आयोजन किया गया. जनसभा में महिलाओं समेत हजारों बालू मजदूर और किसानों ने भाग लिया. सभा में कृषि कानून, बिजली बिल, यमुना नदी में नाव से बालू खनन करने पर रोक के आदेश को वापस लेने और फसलों का एमएसपी का नया कानून बनाने के लिए आवाज बुलंद की. इस दौरानए आईकेएमएस महासचिव डॉ. आशीष मित्तल ने कहा कि सरकार किसान और मजदूरों की आजीविका छीनने में लगी हुई है.
गरीबों की जीविका छीन रही सरकारःआशीष मित्तल
यूपी के प्रयागराज में अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले विशाल जनसभा का आयोजन किया गया. जनसभा में महिलाओं समेत हजारों बालू मजदूर और किसानों ने भाग लिया.
मजदूरों के काम को बचाने की लड़ाई जारी
सभा को संबोधित करते हुए संयुक्त मोर्चा व किरती किसान यूनियन पंजाब के तरफ से कामरेड जतिन्द्र सिंह ने कहा कि देश भर में खेती की जमीन, खेती के प्रारूप व मंडियों को कारपोरेट से बचाने का आंदोलन चल रहा है. जिसमें दो लाख से ज्यादा किसान देश की राजधानी को घेरा हुआ है. नदी में मजदूरों के काम को बचाने की लड़ाई भी इसी संघर्ष का हिस्सा है. जतिन्द्र सिंह ने कहा कि कंपनियों को खेती से मुनाफा कमाने के लिए मंडियों में खरीद की छूट, जमाखोरी की छूट, कालाबाजारी की छूट देते है. अनाज व दाल के दाम डेढ़ गुना तक बढ़ाने छूट देते हैं. उन्होंने कहा कि पूरे पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, और राजस्थान के किसान मजबूती के साथ लंबे समय के लिए इस आंदोलन को लड़ने के लिए दिल्ली में बैठे हैं.
मोदी सरकार कॉरपोरेट को पहुंचा रही फायदा
एआईकेएमएस महासचिव डॉ. आशीष मित्तल ने कहा कि मोदी सरकार कॉरपोरेट का संकट हल करने के लिए गरीबों से उनके जीवन के संसाधन छीन रही है. देश में विदेशी कंपनियों की लूट के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है. बैंक बीमा और तमाम सरकारी क्षेत्र में इन कंपनियों को सरकार बढ़ावा दे रही है. अब किसानों की जमीन, नदी और जीविका छीनने पर उतारू है. इसीलिए मोदी देश के किसानों को परजीवी कहते हैं और विदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने को आत्म निर्भरता बताते हैं.
संगठित होने की अपील
सभा को संबोधित करते हुए किसान पार्टी के डॉक्टर बी एल वर्मा ने लोगों को पूर्वी उत्तर प्रदेश में लड़ाइयां संगठित करने के लिए अपील की. वक्ताओं में सुरेश निषाद, वंदना निषाद, विनोद निषाद, करण निषाद, रामू निषाद, चंद्रावती निषाद, आदि शामिल थे. कार्यक्रम का संचालन हीरालाल ने किया और अध्यक्षता राम कैलाश कुशवाहा ने की.