प्रयागराज:अक्षय तृतीया यानी आखा तीज आज ही के दिन (14 मई) शुक्रवार को मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को लेकर कई मान्यताएं हैं. पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था. परशुराम ने महर्षि जमदग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्म लिया था. यही कारण है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. इस दिन परशुरामजी की पूजा करने का भी विधान है.
राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर अवतरित किया
इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं. राजा भागीरथ ने हजारों वर्ष तक तप कर गंगा को धरती पर अवतरित किया था. पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के अनुसार, इस दिन पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप कट जाते हैं. इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है. इस दिन गरीबों को खाना खिलाया जाता है और भंडारे किए जाते हैं. मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई में कभी अन्न की कमी नहीं रहती है.
अक्षय तृतीया पर वेदव्यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया
अक्षय तृतीया के अवसर पर ही महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था. महाभारत को 5वें वेद के रूप में माना जाता है. इसी में श्रीमद्भागवत गीता भी समाहित है. पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन श्रीमद्भागवत गीता के 18 वें अध्याय का पाठ करना चाहिए. उन्होंने बताया कि भगवान शंकर जी ने इसी दिन भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने की सलाह दी थी. इसी के बाद से अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. यह परंपरा आज तक चली आ रही है.
अक्षय तृतीया का क्या है महत्व?
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य करने का विशेष महत्व है. अक्षय तृतीया के दिन कम से कम एक गरीब को अपने घर बुलाकर सत्कार पूर्वक उन्हें भोजन अवश्य कराना चाहिए. गृहस्थ लोगों के लिए ऐसा करना जरूरी बताया गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से उनके घर में धन धान्य में अक्षय बढ़ोतरी होती है. अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हमें धार्मिक कार्यों के लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान करना चाहिए. ऐसा करने से हमारी धन और संपत्ति में कई गुना इजाफा होता है.