मुरादाबाद: कोरोना संक्रमण के चलते देश में 25 से 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन के दौरान रोज कमा कर खाने वालों के सामने अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसी कठिन परिस्थितियों में घरों का चूल्हा जलना बन्द न हो जाए, इसके लिए लोग हर जतन कर रहे हैं.
मुरादाबाद में एक मजदूर नदी के ठंडे और केमिकल वाले पानी के अंदर कीचड़ में से सिक्के ढूढ़ कर अपने परिवार का पेट पालने पर मजबूर है. मजदूर का कहना है कि जितने रुपये भी मिलते हैं, उससे भले ही चटनी से रोटी खाने के लिए मिल जाए. बस वही सुकून की रोटी है.
लॉकडाउन से छाया रोटी का संकट
मेहनत मजदूरी करने वाले सोनू को लॉकडाउन ने ऐसे हालात में ला खड़ा कर दिया कि परिवार के सदस्यों के सामने रोटी का संकट छा गया है. बच्चों के खाने के लिए किसके आगे हाथ फैलाया जाए, यही सोच लेकर सोनू कटघर के रामगंगा नदी में उतरकर श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित किये गए सिक्कों की तलाश करता है.
इस तरह जलता है घर का चूल्हा
सोनू पहले तो गहरे पानी से रेत निकालकर लाता है. फिर उसमें से लोगों द्वारा रामगंगा में अर्पित किये गए सिक्के और अन्य वस्तुएं निकालता है. सोनू के अनुसार, बस इन्ही सिक्कों से ही उसके घर का चूल्हा जल रहा है. सोनू रोज 50 रुपये तो कभी 100 से 200 रुपये रामगंगा के अंदर से खोजकर घर ले जाता है, जिससे उसका परिवार भूखा नहीं रहता.
नदी से सिक्के निकालने को मजबूर
रामगंगा के ठंडे पानी में घंटों रुपये की तलाश करने के बाद निकले सोनू ने ठंड से कांपते हुए बताया कि इस समय सब काम बंद है. परिवार का पालन पोषण करने के लिए नदी में से सिक्के निकाल रहा हूं.
कोरोना से बचाव: मुरादाबाद में रेलवे कर्मियों ने कबाड़ से बनाया सोशल डिस्टेंस वॉश बेसिन
नदी से मिले सिक्के दिखाते हुए सोनू ने कहा कि उसका परिवार इतने पैसों में चटनी से तो रोटी खा ही लेता है. कोई भूखा तो नहीं रहेगा. लेकिन सवाल यह है कि आखिर नदी से पैसे निकालकर सोनू कब तक अपने परिवार का भरण पोषण करेगा.