मिर्जापुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटे जनपद मिर्जापुर में पावरलूम बुनकरों को पर्याप्त बिजली न मिलने से पावरलूम उद्योग चौपट हो रहा है. कभी बुनकर यहां की शान थे. इनके हाथों से बनी साड़ियां, दुपट्टे और ड्रेस मैटेरियल विदेशों तक जाया करते थे. हथकरघा छोड़कर पावर लूम पर बुनकरों ने काम करना शुरू किया तो लगा कि अब इनके दिन बहूरेंगे मगर बीते कुछ महीनों से स्थिति बुरी हो गई है.
महज 100 से 150 रुपये का ही हो रहा काम
पर्याप्त बिजली न मिलने से बुनकर महज 100 से 150 रुपये का ही काम कर पा रहे हैं, जबकि बिजली मिल जाए तो यह 300 रुपये तक का काम कर ले जाएंगे. कमाई कम होने से परिवार का खर्च नहीं चल पा रहा है. बुनकरों को बिजली के लिए विशेष छूट दी गई है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बिजली नहीं मिल पा रही है.
फेल साबित हो रहे सरकार के दावे
प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे बिजली देने के दावे लगातार किए जा रहे हैं मगर जमीनी हकीकत सरकारी दावों से उलट है. मिर्जापुर जिले के नारायणपुर, सीखड़ और मझवां ब्लॉक के गांव में बुनकर साड़ी, ड्रेस मैटेरियल और दुपट्टा का कारोबार करते हैं. यहां लगभग सैकड़ों पावर लूम स्थापित किए गए हैं. इसमें करीब 150 घरों को रोजगार मिला है. पावर लूम बिजली से चलते हैं. पावर लूम को पर्याप्त बिजली न मिलने से सरकारी दावे फेल नजर आ रहे हैं. वह भी तब, जब इन बुनकरों को बिजली के लिए विशेष छूट दी जाती है.
बिजली की समस्या से बुनकर परेशान
पावरलूम बुनकरों को 5 किलोवाट तक के कनेक्शन पर 130 यूनिट बिजली बिल 3.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से दिए जाते हैं. 6 से 75 किलो वाट तक के कनेक्शन पर भी बुनकरों को लाभ दिया जाता है. इन सबके बावजूद पर्याप्त बिजली न मिल पाने की वजह से अब यह कारोबार चौपट हो रहा है. बिजली की समस्या से बुनकर परेशान हैं.
बुनकरों ने बयां किया दर्द
जलालपुर के बुनकरों का कहना है कि हम लोगों ने हैंडलूम का कारोबार छोड़कर पावर लूम पर काम करना शुरू किया. एक वर्ष से ज्यादा हो गए. उम्मीद थी कि इसमें हैंडलूम से ज्यादा उत्पादन होगा और कम समय में ज्यादा कमाई होगी मगर पर्याप्त बिजली न मिल पाने के कारण जो साड़ी एक दिन में तैयार होनी चाहिए, उसमें 2 दिन लग जा रहे हैं. इस वजह से हम लोगों की कमाई अब आधी हो गई है.