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शिक्षक दिवस: परिवर्तन की बही ऐसी बयार, प्राथमिक विद्यालय बना मॉडल स्कूल

देश भर में पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी रहकर कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता है. ईटीवी भारत आपको मऊ जिले के प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक के बारे में बता रहा है, जिन्होंने शिक्षा के ढंग को बदलकर नई इबारत गढ़ दी है.

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शिक्षक सतीश कुमार सिंह पर विशेष कहानी.

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Published : Sep 5, 2020, 2:57 AM IST

Updated : Sep 5, 2020, 6:19 AM IST

मऊ:जिले स्थितपरदहा क्षेत्र के रकौली प्राथमिक स्कूल में प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह शिक्षा के क्षेत्र में नजीर पेश कर रहे हैं. उन्होंने गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से परिषदीय विद्यालय का कायाकल्प कराया. सतीश कुमार सिंह ने कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर बच्चों की पढ़ाई के लिए प्राथमिक स्कूल में डिजिटल क्लास की तकनीकी का प्रयोग किया. इसके बाद उनकी इस पहल से शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन की बयार देखने को मिल रही है.

स्पेशल रिपोर्ट...

परिषदीय विद्यालय को कॉन्वेंट की तरह संवारा
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होते. इन बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए सरकार तमाम सुविधाएं दे रही है, लेकिन जिनके कंधों पर क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है, उनके लचर रवैये से प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सिथिलता देखने को मिल रही है. इन सबके बीच कुछ शिक्षक बच्चों के बेहतर भविष्य के खातिर उम्मीदों की रोशनी जगा रहे हैं. ऐसा ही कुछ देखने को मिलता है परदहा ब्लाक के रकौली गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में, जहां रकौली गांव के इस स्कूल ने अपनी सुंदरता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है. इतना ही नहीं आधुनिक तकनीकी से रोचकतापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रदेश के गिने चुने विद्यालयों में शुमार है. बता दें कि इस विद्यालय को यह उपलब्धि यहां के प्रधानाचार्य सतीश कुमार सिंह की शिक्षा के प्रति समर्पण भाव से ही मिली है.

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गरीब परिवार के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानाचार्य ने पूरे विद्यालय का कायाकल्प कराया. इस विद्यालय में कॉन्वेंट स्कूल जैसी सुविधाएं मौजूद हैं. यहां पर कंप्यूटरीकृत क्लास रूम और इंटरनेट की व्यवस्था है. साथ ही आधुनिक तकनीकी सीसीटीवी, प्रोजेक्टर, कम्यूटर से सुसज्जित इस विद्यालय का कोना-कोना चमकता दिखाई देता है.

ये हैं खास बातें

  • कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर बच्चों को प्राथमिक स्कूल में मिल रही शिक्षा
  • आधुनिक तकनीकी और कम्यूटरीकृत क्लास से लैस है रकौली का प्राथमिक विद्यालय
  • रकौली प्राथमिक विद्यालय को मिल चुका है स्वच्छता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार

प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह बताते हैं कि उनका एक ही उद्देश्य है कि गरीब परिवार के बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा मिले. इसके लिए उन्होंने अपनी क्षमतानुसार प्रयास किए. वे साल 2008 में बतौर सहायक अध्यायक रकौली के प्राथमिक विद्यालय नियुक्त हुए थे. 2008 में विद्यालय की तस्वीर अत्यंत दयनीय थी. उन्होंने सहायक अध्यापक रहते हुए विद्यालय में शैक्षणिक माहौल बनाने का प्रयास किया, लेकिन किसी कारणवश यह सफल नहीं हो पाया. इसके बाद साल 2012 में विद्यालय का प्रभार मिला और उन्हें बतौर प्रधानाध्यापक विद्यालय के संचालन की जिम्मेदारी दी गई. उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करते हुए स्कूल का पूरी तरह कायाकल्प कराया. विद्यालय परिसर का कायाकल्प कर उसे आधुनिक तकनीक से सुसज्जित कर दिया. वहीं प्राथमिक विद्यालय रकौली को स्वच्छता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा चुका है.

शिक्षक सतीश सिंह बताते हैं कि अच्छी शिक्षा के लिए विद्यालय का परिसर साफ-सुथरा होना चाहिए, जिससे बेहतर शैक्षणिक माहौल बनता है. कोरोना काल में जारी लॉकडाउन में भी इस स्कूल के बच्चे शिक्षा से वंचित नहीं रहे. इन्हें स्मार्ट टीवी के जरिए शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है. वहीं बदलाव की इस सोंच का परिणाम है कि आधुनिक तकनीकी, हरियाली और बच्चों की मुस्कुराहट से स्कूल चमकता दिखाई दे रहा है.

Last Updated : Sep 5, 2020, 6:19 AM IST

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