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जानें किन कमियों के दूर होने से मिल सकता है फसल बीमा योजना का अधिक लाभ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुछ ऐसी कमियां है जिनकी वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. फसल बीमा योजना में कुछ आमूलचूल परिवर्तन कर दिया जाए तो अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सकता है.

कुछ बदलाव से किसानों को योजना का अधिक लाभ मिल सकता है.

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Published : Nov 23, 2019, 4:14 PM IST

भदोही:प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुछ ऐसी कमियां है जिनकी वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. उन किसानों तक पैसे नहीं पहुंच पाते हैं जो इसके सही मायने में हकदार होते हैं. क्लेम करने की प्रक्रिया में अगर थोड़ा आमूलचूल परिवर्तन कर दिया जाए तो अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सकता है.

कुछ बदलाव से किसानों को योजना का अधिक लाभ मिल सकता है.
बारिश की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है और किसानों को सिर्फ इसी बात की आस रहती है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उनके पैसे आएंगे और उनके खराब हुए फसलों की रिकवरी हो पाएगी. खरीफ की फसल पर जहां 2 प्रतिशत प्रीमियम लगता है और धान बाजरा और हर जैसी फसलों को कवर करता है. उसी तरह रवि पर 1.5 प्रतिशत का प्रीमियम लगता है और वह गेहूं, चना, सरसों, आलू जैसे फसलों को कवर करता है.
जानें किन कारणों से किसानों को नहीं मिल रहा फसल बीमा योजना का अधिक लाभ:
  1. बुवाई के समय अगर 25 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है. तब बीमा कंपनी 15 दिन के अंदर उसका अंश प्रदान कर देती है, जबकि इसमें परेशानी यह होती है कि अगर कम स्थल पर नुकसान हुआ है तो उसका भुगतान नहीं मिल पाएगा. जिससे कि क्लीम कवर करने की इस तरीके में सुधार की आवश्यकता है. ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका फायदा मिल सके.
  2. फसल को नुकसान होने पर ग्राम पंचायत की 50 प्रतिशत फसलों को ध्यान में रखते हुए 25 प्रतिशत क्लेम का भुगतान 15 दिन के अंदर किया जाता है. समस्या तब उत्पन्न होती है अगर ग्राम पंचायत में 50 प्रतिशत से कम फसलों का नुकसान हुआ है. फिर उन किसानों को अपने क्लेम का फायदा नहीं मिल पाता है. जिसकी वजह से वह इसका पूरी तरीके से लाभ नहीं उठा पाते हैं.
  3. जब मूल रूप से फसल तैयार कर दी गई हो और परिणाम आने वाले हैं. तब अगर फसल बर्बाद हो जाती है तो इस पर पिछले 5 वर्षों का औसत उत्पादन निकाला जाता है. उसी के अनुपात में किसान को क्लेम मिलता है.
  4. व्यक्तिगत नुकसान होने पर भी प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत क्लेम तो मिलता है, लेकिन उसका किसान उस तरीके से फायदा नहीं उठा पाते है और न ही सरकार उसका सर्वे अच्छे तरीके से करा पाती है. व्यक्तिगत नुकसान जैसे अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, आकाशीय बिजली गिरने पर अगर नुकसान होता है तो 72 घंटे के अंदर किसान द्वारा बीमा कंपनी कृषि विभाग को यह सूचना दे देती है. 14 दिन के अंदर भुगतान किया जाता है.
  5. कई फसलें ऐसी होती हैं जो 20 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र में होने के बाद भी अनुसूचित नहीं हो पाती हैं. ऐसी स्थिति में यह फसल बीमा योजना के दायरे में नहीं आ पाती है और उससे हुए नुकसान की भरपाई किसान नहीं कर पाता है.
  6. बीमा की इकाई ग्राम पंचायत है, जबकि ग्राम पंचायत एक बहुत बड़ा क्षेत्र होता है और नुकसान के आकलन के लिए प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत को बनाया गया है. जिससे कि नुकसान का आकलन नहीं हो पाता है और इससे भुगतान भी सही तरीके से नहीं हो पाता है. अगर ग्रामीण स्तर पर इसके लिए कोई व्यवस्था किया जाए तो यह ज्यादा कारगर साबित होगा.
  7. धान को अतिवृष्टि या ओलावृष्टि से नुकसान होने पर व्यक्तिगत क्लेम से अलग रखा गया है, जबकि उस तरीके का नुकसान व्यक्तिगत कृषकों को ज्यादा होता है.
  8. क्लेम सेटलमेंट का तरीका बड़ा ही अजीबोगरीब है. स्थिति का जायजा लेने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं होने के बावजूद भी एक आंकलन के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि नुकसान कितना प्रतिशत हुआ है. अगर वैज्ञानिक विधि अपनाया जाए तो इससे अधिक से अधिक किसानों को फायदा मिल पाएगा.

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