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पुत्र प्राप्ति के लिए लोग राधाकुंड में अहोई अष्टमी पर करते हैं स्नान, कहानी जान आप भी रह जाएंगे हैरान

मथुरा में 28 अक्टूबर की मध्य रात्रि बारह बजे से अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) पर विशेष स्नान होता है. राधाकुंड (Radha Kund) में पति-पत्नी एक साथ स्नान करते हैं. राधाकुंड को पुत्र प्राप्ति कुंड भी कहा जाता है.

अहोई अष्टमी.
अहोई अष्टमी.

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Published : Oct 26, 2021, 9:59 AM IST

मथुराःजनपद के गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में स्थित राधाकुंड (Radha Kund) में अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) की मध्यरात्रि को विशेष स्नान होता है. पुत्र प्राप्ति के लिए देश ही नहीं विदेशों से हर साल लाखों श्रद्धालु यहां स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. इस कुंड में पति-पत्नी एक साथ स्नान करते हैं. दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. 28 अक्टूबर की मध्य रात्रि बारह बजे से अहोई अष्टमी पर विशेष स्नान का आयोजन किया जाएगा.

अहोई अष्टमी पर विशेष स्नान

जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गोवर्धन कस्बा जहां परिक्रमा मार्ग में स्थित है राधाकुंड. इस कुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को पति-पत्नी एक साथ स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है और श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं. साथ ही विदेशों से लाखों भक्त स्नान करने के लिए यहां पहुंचते हैं.

अहोई अष्टमी.

अहोई अष्टमी स्नान को लेकर प्रशासन तैयार

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पिछले दो बार से जिला प्रशासन ने अहोई अष्टमी स्नान की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन इस बार जिला प्रशासन ने अनुमति प्रदान की है. इसके बाद से ही प्रशासन तैयारियों में जुट गया है. हर साल इस स्नान में लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. 28 अक्टूबर की मध्य रात्रि को पति-पत्नी एक साथ राधा कुंड में स्नान करते नजर आएंगे.

विदेशों से आते हैं श्रद्धालु राधाकुंड में स्नान

संतान प्राप्ति के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु राधाकुंड में स्नान करने के लिए अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को यहां पहुंचते हैं. जिन दंपतियों को संतान नहीं होती, वह यहां आकर राधाकुंड में स्नान करते हैं. ऐसी मान्यता है कि साल भर के भीतर ही पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है.

राधाकुंड.

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पौराणिक मान्यताएं

कहानियों के अनुसार मथुरा के राजा कंस ने कृष्ण को मारने के लिए अरिष्टासुर राक्षस को यहां भेजा था. राक्षस ने गाय रूपी भेष धारण किया और ग्वाल वालों के यहां गाय को मारने लगा. कृष्ण त्रिलोकी थे. उन्होंने अरिष्टासुर राक्षस को पहचान लिया और उसका वध कर दिया. राधा ने देखा की कृष्ण ने गौ हत्या कर दी है. इससे कृष्ण पर गौ हत्या का पाप लगा गया. राधा ने कृष्ण से कहा इस पाप से मुक्ति पाने के लिए आपको सभी नदियों में जाकर स्नान करना पड़ेगा. तभी आपको इस पाप से मुक्ति मिलेगी.

अहोई अष्टमी.

कृष्ण ने नारद का आह्वान किया. कृष्ण ने नारद से कहा सभी तीर्थों को यहां आने के लिए निमंत्रण भेजो. ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में सभी तीर्थों का वास है. कृष्ण जब गौ हत्या के श्राप से मुक्त हो गए तो राधा ने अपने कंगन से श्याम कुंड और कृष्ण भगवान ने बांसुरी से कृष्ण कुंड की स्थापना की. राधाकुंड में सभी देवी देवताओं और नदियों का वास है. राधा और कृष्ण ने एक साथ कुंड में स्नान किया था. जिस दिन यह हुआ था वह दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी का था. राधा ने आशीर्वाद दिया कि कोई भी दंपति अहोई अष्टमी के दिन मध्यरात्रि में एक साथ स्नान करेंगे तो उनको संतान प्राप्ति होगी.

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