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मथुरा: फसल के उचित रेट न मिलने से किसान परेशान, आढ़तियों पर मनमानी करने का लगाया आरोप

यूपी के मथुरा के हाईवे थाना क्षेत्र के अंतर्गत मंडी समिति में सैकड़ों किसान गेहूं लेकर पहुंचे. जहां किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मंडी समिति में आढ़तियों द्वारा सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर गेहूं नहीं लिए जा रहे हैं. आढ़तिए मनमाने दाम पर गेहूं खरीद रहे हैं.

फसल के उचित रेट न मिलने से किसान परेशान.
फसल के उचित रेट न मिलने से किसान परेशान.

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Published : Apr 8, 2020, 12:09 AM IST

मथुरा:फसल के उचित रेट न मिलने से किसान परेशान हैं, किसानों का कहना है कि मंडी में आढ़तियों द्वारा कम मूल्य पर गेहूं खरीदा जा रहा है. जबकि सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य अलग है ,किसानों का कहना है कि आढ़तियों द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा है. किसान जितनी लागत लगा रहे हैं उतनी लागत भी नहीं निकल पा रही है.

फसल के उचित रेट न मिलने से किसान परेशान.

हाईवे थाना क्षेत्र के अंतर्गत मंडी समिति में गेहूं लेकर पहुंचे सैकड़ों किसानों ने मंडी समिति के आढ़तियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि, आढ़तियों द्वारा मनमाने रूप से गेहूं को खरीदा जा रहा है.

कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा 21 दिनों के लिए भारत में लॉकडाउन कर दिया है. इस दौरान मूलभूत आवश्यकताओं वाली वस्तुओं की दुकानें ही एक निश्चित समय के लिए खोली जा रही हैं. जिनसे लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार वस्तुएं खरीद पा रहे हैं. वहीं दुकानदारों द्वारा भी अधिक मूल्य पर वस्तुएं बेचकर अपनी जेब भरी जा रही है. वहीं दूसरी ओर किसान फसल के उचित रेट न मिलने से परेशान है.

फसल के उचित रेट न मिलने से किसान परेशान.

किसानों का कहना है कि बाजारों में अधिक मूल्यों पर वस्तुएं मिल रही है. जबकि हमें सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर अपनी फसल के दाम नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने मंडी समिति के सचिव पर आरोप लगाते हुए कहा कि मंडी समिति के सचिव आढ़तियों से मिलकर किसानों का शोषण कर रहे हैं.

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किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मंडी समिति में आढ़तियों द्वारा सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर गेहूं नहीं लिए जा रहे हैं, और आढ़तिये अपने मनमाने पैसों से ही गेहूं खरीद रहे हैं. किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि मंडी सचिव की मिलीभगत से ही आढ़तिये किसानों का शोषण कर रहे हैं. एक तरफ तो बाजारों में हर वस्तु मूल्य से अधिक कीमत पर बेची जा रही है. वहीं किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.

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