महराजगंज: 'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है' अदम गोंडवी की ये रचना प्रदेश के सखी सेंटरों के हालात बताने के लिए काफी है. कहने को तो जिले के 100 शैय्यायुक्त मैटर्निटी विंग अस्पताल के पांच कमरों में वन स्टॉप सेंटर खोल दिया गया, लेकिन अस्पताल के इन कमरों में ताले ही लटके रहते हैं. यहां आज तक वन स्टाॅप सेन्टर को संचालित करने के लिए स्टॉफ की नियुक्ति तक नहीं की गई.
पांच कमरों में खोला गया था वन स्टाॅप सेंटर
हिंसा की शिकार महिलाओं को एक ही छत के नीचे रहने, सुरक्षा, प्रशिक्षण, चिकित्सा, काउंसलिंग आदि सुविधा देने के लिए जिला अस्पताल से सटे 100 शैय्यायुक्त मैटर्निटी विंग अस्पताल के पांच कमरों में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वन स्टॉप सेंटर को खोलने का निश्चय किया था. जिसके बाद यहां इन कमरों में वन स्टॉप सेंटर का संचालन शुरू हुआ, लेकिन यह महज कागजों तक ही सीमित रह गया. आज तक यहां किसी भी पद पर स्टाॅफ की नियुक्ति नहीं की गई है. नियुक्ति के लिए आवेदन को लिए गए हैं लेकिन रिक्त पड़े ये पद आज भी बस राह ही देख रहे हैं.
लटक रहे हैं कमरों में ताले
ईटीवी भरत ने जब इसकी पड़ताल की तो जिम्मेदार अधिकारियों ने शीघ्र ही नियुक्ति करने का दावा किया. उनका कहना था कि वन स्टॉप सेन्टर के लिए भूमि को चिन्हित भी कर लिया गया है और इसके भवन निर्माण के लिए धन भी आवंटित कर दिया गया है. अधिकारियों के इन दावों के बावजूद आज तक कोई निर्माण कार्य शुरू नही हो सका है. ऐसे में यहां वन स्टाॅप सेन्टर का संचालन कागजों में सिमट कर रह गया है.