लखनऊ : राजधानी लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के नियोनेटोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित "नियोनेटल न्यूट्रिशन: बेंच टू बेडसाइड" पर पहली डीएचआर- आईसीएमआर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में देशभर से आए 70 से अधिक उत्साही प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस कार्यशाला का आयोजन संस्थान के नियोनेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. कीर्ति एम. नारंजे के नेतृत्व में किया गया.
SGPI Lucknow के नियोनेटोलॉजी विभाग की कार्यशाल. संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की जारी विज्ञप्ति के अनुसार संस्थान के नियोनेटोलॉजी विभाग द्वारा नवजात पोषण से संबंधित ज्ञान और कौशल के बीच के अंतर को दूर करने के लिए "नियोनेटल न्यूट्रिशन: बेंच टू बेडसाइड" विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR-department of health research) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ( ICMR) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी. कार्यशाला का उद्देश्य समय से पहले जन्मे शिशुओं पर विशेष ध्यान देते हुए नवजात पोषण के क्षेत्र में हुई नवीनतम प्रगति से स्वास्थ्यकर्मियों को अवगत कराना था.
SGPI Lucknow के नियोनेटोलॉजी विभाग की कार्यशाल. कार्यशाला में कलावती सरन और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली से प्रोफेसर सुषमा नांगिया, पर्थ, ऑस्ट्रेलिया से प्रोफेसर संजय पटोले, केईएम, पुणे से प्रोफेसर उमेश वैद्य, HIMS, देहरादून से प्रो. गिरीश गुप्ता, बीएचयू, वाराणसी से प्रोफेसर अशोक कुमार, केजीएमयू, लखनऊ से प्रोफेसर माला कुमार, GRIPMER, नई दिल्ली से डॉ. अनूप ठाकुर, एम्स, जोधपुर से डॉ. नीरज गुप्ता, केएस और एलएचएमसी, नई दिल्ली से डॉ. प्रतिमा आनंद, मुंबई से डॉ. विभोर बोरकर और डॉ. अनीश पिल्लई और मेदांता, लखनऊ से डॉ. आकाश पंडिता ने व्याख्यान प्रस्तुत किए.
इसके पहले डॉ. पियाली भट्टाचार्य (उपाध्यक्ष मध्य क्षेत्र IAP), डॉ. संजय निरंजन (अध्यक्ष यूपी-आईएपी) व डॉ. निरंजन सिंह (अध्यक्ष लखनऊ नियोनेटोलॉजी फोरम) द्वारा कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करके किया. कार्यशाला पोषण के बुनियादी पहलुओं पर केंद्रित थी. नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम (एनएनएफ) की निर्वाचित अध्यक्ष प्रोफेसर सुषमा नांगिया ने "मां के अपने दूध (mother's own milk: MOM) के साथ शुरुआती पोषण" के महत्व पर जोर दिया. साथ ही समय से पहले जन्मे और समय पर जन्मे बच्चों को मां का दूध उपलब्ध न होने पर व्यापक स्तनपान प्रबंधन केंद्रों की आवश्यकता पर जोर दिया गया. जिससे नवजात शिशुओं को सहजता से दूध उपलब्ध हो सके. कार्यशाला में टोटल पैरेंट्रल न्यूट्रिशन (TPN), ग्रोथ मॉनिटरिंग और फॉलो-अप के विभिन्न पहलुओं को भी शामिल किया गया.
प्रोफेसर उमेश वैद्य ने शुरुआती आक्रामक टीपीएन के महत्व, नुस्खे, तैयारी और न्यूरो डेवलपमेंटल परिणामों में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला. प्रो. गिरीश गुप्ता ने प्रीमेच्योरिटी ऑस्टियोपेनिया की रोकथाम के बारे में जानकारी साझा की. कार्यशाला के आयोजन में सचिव डॉ. अनीता सिंह और डॉ. आकांक्षा वर्मा, डॉ. अभिषेक पॉल, डॉ. अभिजीत रॉय तथा रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रयासों की भूमिका सराहनीय रही.
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