उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

लखनऊ: बस स्टेशन पर शोपीस बनी सेंसर युक्त सैनिटाइजर मशीनें

राजधानी लखनऊ में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन, ऐसे हालात में लखनऊ के आलमबाग बस अड्डे का प्रशासन लापरवाही बरत रहा है. आलमबाग बस अड्डे पर यात्रियों के हाथ सैनिटाइज करने के लिए तीन सेंसर युक्त सैनिटाइजर मशीनें लगाई गई थीं, लेकिन ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में यहां की सभी सैनिटाइजर मशीनें खराब मिलीं. वहीं हमने जब इस बारे में जिम्मेदारों से सवाल किया तो, सभी कैमरे से दूर भागने लगे.

lack of sensitization at alambagh bus station
ईटीवी भारत ने जब जिम्मेदारों से इसका जवाब चाहा, तो सभी कैमरे से दूर भागने लगे.

By

Published : Jun 28, 2020, 9:54 AM IST

लखनऊ:कोरोना को देखते हुए बस स्टेशनों के साथ बसों के अंदर भी उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी सुरक्षा की गारंटी का दम भरते हैं, लेकिन हकीकत इससे परे है. पीपीपी मॉडल पर बने प्रदेश के पहले बस स्टेशन आलमबाग पर यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है. बस स्टेशन पर दिखाने के लिए तो ऑटोमेटिक सेंसर वाली सैनिटाइजर मशीनें लगी हैं, लेकिन काम के वक्त ये मशीनें शोपीस साबित होती हैं. इसमें सैनिटाइजर का कोई अता-पता नहीं है.

आलमबाग बस स्टेशन खराब पड़ी हैं सेंसर युक्त सैनिटाइजर मशीनें
आलमबाग बस स्टेशन पर परिवहन निगम अधिकारियों के यात्रियों और कर्मचारियों को कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सुरक्षा उपायों के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. आलमबाग बस स्टेशन पर सेंसर युक्त तीन सैनिटाइजर मशीनें लगी हुई हैं. लेकिन, इनमें से एक भी मशीन से सैनिटाइजर नहीं निकलता. जिसे लेकर यात्री जिम्मेदारों से शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार भी इस और कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. 'ईटीवी भारत' ने जिम्मेदारों से जब इन मशीनों के खराब होने को लेकर उनका जवाब चाहा तो सभी कैमरे से दूर भागने लगे.

बस स्टेशन पर मशीनें तो कई लगी हैं, लेकिन कोई भी सैनिटाइजर मशीन चल ही नहीं रही है. हमें इससे दिक्कत होती है. मशीनें अगर लगाई गई हैं, तो चलनी चाहिए. कोरोना से बचाव के लिए यह जरूरी है.
-ओमप्रकाश, यात्री

इस बस स्टेशन पर कोई भी चीज लगी होती है, अगर वह एक बार खराब होती है तो फिर सही नहीं होती है. यही सैनिटाइजर मशीन का हाल है कि यह चल ही नहीं रही है. मशीन पिछले 2 दिन से खराब है. कभी-कभी एक या दो घंटे के लिए चलती है, फिर बंद हो जाती है. जिम्मेदार इस पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं. यात्री ऐसे ही बस स्टेशन के अंदर प्रवेश कर रहे हैं.
-शशांक त्रिपाठी, बस संचालक

ABOUT THE AUTHOR

...view details