नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने जेलर को धमकाने और पिस्तौल तानने के मामले में मुख्तार अंसारी को 7 साल कैद की सजा सुनाए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी है.
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ मुख्तार अंसारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने 23 साल पुरानी एफआईआर पर आधारित एक्ट उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियों (रोकथाम) के तहत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कारावास के आदेश को चुनौती दी थी. (SC stays Allahabad High Court decision for 7 years)
2 सितंबर 2022 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया गया था. हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि मुख्तार अंसारी धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 504 (जानबूझकर), शांति भंग करने के इरादे से अपमान) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी है. इलाहाबाद कार्ट ने मुख्तार अंसारी को धारा 353 के तहत अपराध के लिए 2 साल के कारावास और 10,000 रुपये जुर्माना, धारा 504 के तहत अपराध के लिए 2 साल की जेल और 2000 रुपये जुर्माना, वहीं, धारा 506 के तहत 7 साल की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. (Relief to Mukhtar Ansari from Supreme Court)
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश मामला 2003 में हुई घटना से संबंधित था. जिसमें लखनऊ जिला जेल के जेलर ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि मुख्तार अंसारी ने उन्हें धमकी और गाली देते हुए उनपर पिस्तौल तान दी थी. जब मामला निचली अदालत में पहुंचा तो बरी कर दिया गया था. सरकार ने तब इसे चुनौती दी और हाईकोर्ट ने बरी कर दिया. (SC stays allahbad hc order)
मुख्तार अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, इलाहाबाद हाईकोर्ट के 7 साल के फैसले पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट से पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को सोमवार को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 19 साल पुराने मामले में सजा पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है. ईटीवी भारत के संवाददाता मैत्री झा की रिपोर्ट.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सोमवार को मुख्तार अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील पेश की गई. जिसमें कहा गया कि वह सजा को निलंबित करने की मांग कर रहे हैं. इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि मुख्तार अंसारी को किन मापदंडों में दोषी ठहराया गया. इसके साथ ही यह भी पूछा गया कि हाईकोर्ट की जांच कहां है जो यह नोट करती है कि ट्रायल कोर्ट का निष्कर्ष विकृत है. उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत को बताया था कि गवाह जिरह के लिए नहीं आए थे, ट्रायल कोर्ट ने यह नोट किया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
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