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लखनऊः इस बार बच गए लंकेश, ये हो रहे मायूस - रामलीला कमेटी लखनऊ

राजधानी लखनऊ में कोरोना महामारी के चलते इस बार रावण पुतला दहन का अधिकतर कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. इसकी वजह से रावण का पुतला बनाने वाले कारीगरों को आर्डर बहुत कम मिल रहे हैं. रावण के पुतले की मांग कम होने से लखनऊ के कारीगर इस साल मायूस हैं.

लखनऊ में रावण के पुतले के लिए बनाया गया ढांचा.
लखनऊ में रावण के पुतले के लिए बनाया गया ढांचा.

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Published : Oct 25, 2020, 12:07 AM IST

लखनऊः कोरोना महामारी ने इस साल सभी त्योहारों की रौनक फीकी कर दी है. यही कारण है कि नवरात्र में भी इस बार चहल-पहल कम है. सरकार की गाइड लाइन और कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए इस बार विजयादशमी पर लखनऊ की रामलीला कमेटियों ने रावण के पुतले का दहन कार्यक्रम स्थगित कर दिया है. इसकी वजह से रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर परेशान हैं.

लखनऊ में रावण के पुतले बनाने वाले कारीगरों का दर्द बयां करती रिपोर्ट.

राजधानी लखनऊ में इस बार रावण का पुतला बनाने वाले कारीगरों पिछली सालों की अपेक्षा में कम आर्डर मिले हैं. इसकी वजह से कारीगर परेशान है. कारीगरों का कहना है कि इस बार कोरोना के चलते ज्यादातर रामलीला कमेटियों ने रावण के पुतले दहन का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है. यही कारण है बड़े पुतले की बजाय हमने छोटे पुतले बनाए थे, लेकिन इनकी भी डिमांड नहीं है. इस साल सिर्फ दस फीसद ही रावण के पुतले की डिमांड है.

कोरोना ने चौपट किया कारोबार
लखनऊ के मड़ियांव स्थित कारीगर इस्लाम ने बताया कि कोरोना के कारण कमेटियों ने रावण दहन का कार्यक्रम स्थगित करने का निर्णय लिया था. इससे उम्मीद थी कि इस बार रावण के छोटे पुतले की डिमांड होगी. इस वजह से हमने छोटे पुतले बनाने शुरू कर दिए थे, लेकिन छोटे पुतलों की भी डिमांड नहीं है. इस्लाम का कहना है कि हर साल लगभग 400 से 500 पुतले बिक जाते थे, लेकिन इस बार व्यापार बिल्कुल चौपट हो गया है.

पुतलों के दस फीसद ऑर्डर ही मिले

डालीगंज के कारीगर मुबारक ने बताया कि हर वर्ष ऑर्डर पर रावण के पुतले बनाते थे. लगभग हर साल 60 से 70 रावण के पुतले बनाने के ऑर्डर भी मिलते थे, लेकिन इस वर्ष 10 फीसदी आर्डर ही हैं. उन्होंने कहा कि इस बार जिस तरह से व्यापार को लेकर उम्मीद की थी, वह पूरी तरह से गलत साबित होती दिख रही है.

बता दें कि कोरोना के चलते इस बार सरकार ने विजयादशमी और रामलीला के कार्यक्रम में सिर्फ 200 लोगों के ही शामिल होने का आदेश दिया है. इस वजह से इस साल रावण के पुतले का दहन बहुत कम लोग कर रहे हैं.

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