लखनऊ:पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को जबरन रिटायरमेंट देने का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है. सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप चंद्रा ने शनिवार उन्हें अनिवार्य सेवानिवृति न मिलने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की है.
याचिका के अनुसार, केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को सरकारी सेवकों को समय से पूर्व अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का अधिकार है. इन प्रावधानों में 50 वर्ष से अधिक आयु के कामचोर अफसरों को व्यापक जनहित में सेवा से बाहर किये जाने की व्यवस्था है. इसके विपरीत केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इन प्रावधानों का दुरुपयोग करते हुए उन सरकारी सेवकों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है, जो अन्याय व भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं या सरकारी सेवकों के अधिकारों के प्रति मुखर रहते हैं.
याचिका के अनुसार अमिताभ ठाकुर की समयपूर्व सेवानिवृति इस बात का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जहां उन्हें मात्र व्यवस्था में खामियों एवं अनियमितताओं के सम्बन्ध में आवाज उठाने के कारण सेवानिवृत्त कर दिया गया है. याचिका में केंद्र और राज्य सरकार को अनिवार्य सेवानिवृति के सम्बन्ध में स्पष्ट और वस्तुनिष्ठ नियम बनाए जाने व इन नियमों का पारदर्शी ढंग से पालन कराये जाने के आदेश देने की मांग की गई है. साथ ही अमिताभ ठाकुर सहित अन्य कर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृति देने के कारणों को भी सार्वजनिक करने की प्रार्थना की गई है.