लखनऊ :उत्तर प्रदेश में अब सटोरियों के जड़ से उखाड़ने की कवायद शुरू हो गई है. इसके तहत सार्वजनिक जुआ अधिनियम-1867 को ताकतवर बनाया जा रहा है. राज्य विधि आयोग उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक जुआ अधिनियम का नया मसौदा तैयार कर रहा है. इस कानून की बारिकियों को परखने के साथ ही दूसरे देशों में ऑनलाइन गैंबलिंग को लेकर बने कानूनों का अध्ययन भी किया जा रहा है.
गैर जमानती अपराध की श्रेणी में लाने की कवायद
राज्य विधि आयोग उत्तर प्रदेश में संगठित ढंग से सट्टे के संचालन को गैरजमानती अपराध की श्रेणी में लाने की तैयारी कर रहा है. सजा की अवधि से लेकर जुर्माने की रकम भी बढ़ेगी. सटोरियों को सात साल तक की सजा के घेरे में लाने के लिए आयोग फिलहाल सभी बिंदुओं को पूरी बारीकी से परख रहा है. केंद्र सरकार सार्वजनिक जुआ अधिनियम को खत्म करने की तैयारी में है और राज्यों को जुआ पर शिकंजा कसने के लिए अपना-अपना कानून बनाने की बात कही गई है.
निशाने पर जुआघर व ऑनलाइन सट्टे का संचालन
जिस तरह कभी लॉटरी ने इसके जाल में फंसे लोगों के घर तक बिकवा दिए, उसी तरह अब सट्टा परिवारों को उजाड़ रहा है. पोकर को लेकर भी देश-दुनिया में जायज-नाजायज की बहस छिड़ी है. इस बीच योगी सरकार ने सामाजिक व्यवस्था में बड़े बदलाव की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है.
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