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 यूपी में ऑनलाइन गैंबलिंग होगा गैर जमानती अपराध, सटोरियों पर सख्ती की तैयारी

यूपी में सटोरियों के विरुद्ध कड़े कानून का मसौदा तैयार हो रहा है. उत्तर प्रदेश में संगठित ढंग से सट्टे के संचालन को गैरजमानती अपराध की श्रेणी में लाने की तैयारी है. सजा की अवधि से लेकर जुर्माने की राशि भी बढ़ेगी. सटोरियों को सात साल तक की सजा के घेरे में लाकर इस काले कारोबार पर अंकुश लगाने की तैयारी है.

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Published : Apr 23, 2021, 2:34 AM IST

 यूपी में ऑनलाइन गैंबलिंग होगा गैर जमानती अपराध, सटोरियों पर सख्ती की तैयारी
 यूपी में ऑनलाइन गैंबलिंग होगा गैर जमानती अपराध, सटोरियों पर सख्ती की तैयारी

लखनऊ :उत्तर प्रदेश में अब सटोरियों के जड़ से उखाड़ने की कवायद शुरू हो गई है. इसके तहत सार्वजनिक जुआ अधिनियम-1867 को ताकतवर बनाया जा रहा है. राज्य विधि आयोग उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक जुआ अधिनियम का नया मसौदा तैयार कर रहा है. इस कानून की बारिकियों को परखने के साथ ही दूसरे देशों में ऑनलाइन गैंबलिंग को लेकर बने कानूनों का अध्ययन भी किया जा रहा है.

गैर जमानती अपराध की श्रेणी में लाने की कवायद

राज्य विधि आयोग उत्तर प्रदेश में संगठित ढंग से सट्टे के संचालन को गैरजमानती अपराध की श्रेणी में लाने की तैयारी कर रहा है. सजा की अवधि से लेकर जुर्माने की रकम भी बढ़ेगी. सटोरियों को सात साल तक की सजा के घेरे में लाने के लिए आयोग फिलहाल सभी बिंदुओं को पूरी बारीकी से परख रहा है. केंद्र सरकार सार्वजनिक जुआ अधिनियम को खत्म करने की तैयारी में है और राज्यों को जुआ पर शिकंजा कसने के लिए अपना-अपना कानून बनाने की बात कही गई है.

निशाने पर जुआघर व ऑनलाइन सट्टे का संचालन

जिस तरह कभी लॉटरी ने इसके जाल में फंसे लोगों के घर तक बिकवा दिए, उसी तरह अब सट्टा परिवारों को उजाड़ रहा है. पोकर को लेकर भी देश-दुनिया में जायज-नाजायज की बहस छिड़ी है. इस बीच योगी सरकार ने सामाजिक व्यवस्था में बड़े बदलाव की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है.

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नहीं लेना पड़ेगा आइपीसी का सहारा

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वर्तमान में जुआ अधिनियम में अधिकतम एक वर्ष की सजा व एक हजार रुपये जुर्माना तक का प्रावधान है. यह व्यवस्था जब बनी थी, तब जुआ में शामिल रकम और जुआ खेलने के दायरे सीमित थे. अब ऑनलाइन गैंबलिंग का स्वरूप रोजना बदल रहा है.

एक अधिकारी की मानें तो बड़ा सट्टा पकड़े जाने पर पुलिस को वहां बरामद उपकरणों, मोटी रकम व दस्तावेजों के आधार पर आरोपितों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए आइपीसी की धाराओं का सहारा लेना पड़ता है.

किसी घर के भीतर जुआ खेले जाने की सूचना पर संबंधित जिले के एसपी से वारंट लेना भी जरूरी होता है. माना जा रहा है कि कानून के नए मसौदे में इन सभी अड़चनों को दूर कर जुआ अधिनियम का दायरा बढ़ाया जाएगा.

सभी पहलुओं पर चल रहा मंथन

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एएन मित्तल ने बताया कि सार्वजनिक जुआ अधिनियम का नया प्रारूप तैयार कराया जा रहा है. इसके लिए अध्ययन के साथ ही आर्थिक, सामाजिक व सभी पहलुओं को भी बारीकी से परखा जा रहा है. जुआ के इलेक्ट्रानिक स्वरूप को लेकर भी सख्त कानून बनाया जाएगा.

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