लखनऊ: उत्तर प्रदेश का फायर सर्विस विभाग अब NOC नहीं देगा. इसका एक प्रस्ताव फायर सर्विस मुख्यालय स्तर पर तैयार किया जा रहा है, जो जल्द शासन को भेज दिया जाएगा. विभाग यह प्रस्ताव लखनऊ के होटल लेवाना अग्निकांड में हुई चार मौतों के बाद तैयार कर रहा है. इस अग्निकांड की जांच में सबसे अधिक फायर डिपार्टमेंट की लापरवाही सामने आई है. फायर सेफ्टी न होने के बाद भी होटल को NOC दे दी गई थी. इसके बाद से ही फायर सर्विस अपने कई नियमों में बदलाव करने की कवायद कर रहा है.
फायर सर्विस के डीआईजी आकाश कुलहरि के मुताबिक बीते कुछ सालों में हुए अग्निकांड की घटनाओं में सामने आया है कि जिन बिल्डिंग्स में फायर सेफ्टी उपकरण तक नहीं लगे थे, उन्हें भी जिले स्तर के फायर सर्विस के अधिकारियों ने NOC दे दी थी. यही नहीं उसी NOC के आधार पर बिल्डिंग मालिकों ने प्राधिकरणों से भी नक्शा पास करा लेते हैं. ऐसे में जरूरी है कि फायर NOC और नक्सा एप्रूव करने की जिम्मेदारी एक ही विभाग के पास होनी चाहिए.
डीआईजी ने बताया कि फायर सर्विस विभाग एक प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने पर विचार कर रहा है, जिसके मुताबिक किसी भी व्यवसायिक संस्थान, जिसमें स्कूल, हॉस्पिटल, होटल, रेस्टोरेंट और सरकारी बिल्डिंग समेत सभी हाई राइज बिल्डिंग की NOC विकास प्राधिकरण या नगर निगम को ही देने का अधिकार होना चाहिए. फायर डिपार्टमेंट के पास सिर्फ फायर सेफ्टी की जांच का ही अधिकार हो.
आकाश कुलहरि के मुताबिक जब किसी संस्थान को NOC की आवश्यकता हो, वह फायर सर्विस की जगह विकास प्राधिकरण में आवेदन करें. उसके बाद प्राधिकरण चीफ फायर ऑफिसर (CFO) को प्राधिकरण उन सभी बिल्डिंग की सूची भेजकर फायर सेफ्टी की रिपोर्ट मांगेगा और फायर डिपार्टमेंट प्राधिकरण को ही अपनी रिपोर्ट देगा, जिसके बाद प्राधिकरण यह तय करेगा कि संबंधित को NOC देनी है या नहीं. आकाश कुलहरि ने बताया कि फायर सर्विस का अधिकारी व्यक्तिगत किसी को नहीं बल्कि प्राधिकरण को ही अपनी रिपोर्ट देगा.
इन भवनों को लेनी होती है NOC -